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________________ C तवणिजपुंजलाभेण इह भवे विगयदुक्खमप्पाणं । कुणिमो परलोयंमि य तहसणजणियपुन्नेण ॥ ३ ॥ परभवपरूढखरदुक्खनिवहसंतत्तसवगत्ताणं । अन्नो नत्थि उवाओत्ति अम्ह एसो हवउ सरणं ॥ ४ ॥ इय णेगेसु मग्गणगणेसु इंतेसु दूरदेसाओ । पूरियमणोरहेसुं अन्नेसु नियत्तमाणेसु ॥५॥ कुंडग्गामंमि पुरे रुंदासुवि तासु तासु रत्थासु । निद्दयनिहलियउरो दुक्खेण जणो परिभमइ ॥६॥ जत्थ निहाणे दिहिं पम्हलधवलं परिक्खिवइ वीरो । दट्ठइ तत्थ हिरन्नं करुणारसमच्छरेणं व ॥७॥ अत्थिजणपरिवुडे जिणवरंमि गेहंगणे भमंतमि । परिसकिरकप्पमहादुमन्च लक्खिजए पुहई ॥८॥ दाणे य जायणमि य दायगतकुयजणेण सवत्थ । सरिसञ्चिय उल्लावा वियंभिया देहि देहित्ति ॥९॥ एत्थ रयणुकर एसु ठवह एत्थ य पवित्थरे वत्थे। पूरेह एत्थ तवणिजपुंजए मग्गणनिमित्तं ॥ १०॥ इय दाणनिउत्तजणस्स पइदिणं किंकरे भणंतस्स । पुणरुत्तो वावारो जाओ संवच्छरं जाव ॥ ११॥ अखलियपसरं सिरिजिणवरेण दिंतेण दुत्थियाण धणं । सेसाणवि पयडिजइ सिवपुरपंथो धुवं एस ॥ १२ ॥ सवावायनिबंधण धणेवि जो कुणइ मोहिओ मुच्छं। सो दुक्करतवचरणे अत्ताणं कह व संठविही? ॥ १३ ॥ ता जिणवराणुमाणेण सबविरई समीहमाणेण । अन्नेणवि एवं चिय पयट्टियवं सइ धणमि ॥ १४ ॥ एवं च दाणे अणुदियहं पयट्टमाणे नंदिवद्धणनरिंदो नियपुरिसे सहावेत्ता एवं आणवेइ-भो भद्दा! एयस्स नय ACANCIESCANCARNAGC-ASCIRCRAKA Jain Educat i onal For Private & Personal Use Only Olainelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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