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________________ Jain Educati एगत्थुन्नयनवमेघगजि परितुट्टनीलकंठो जो । अन्नत्थ किन्नरारद्धगेयसुइनिञ्चल कुरंगो ॥ ८ ॥ एगत्तो मरगयनिस्सरंतकिरणोलिसामलियगयणो । अन्नत्तो रवितावियफलिहोव लगलियजलणकणो ॥ ९ ॥ तत्थ एवंविहे मंदरगिरिंमि नीहार गोक्खीरहारुजलाए अइपंडुकंवल सिलाए विचित्तरयणप्पभापडलजलपक्खालियंमि अभिसेयसिंहासणे पुवाभिमुद्दो सुरिंदो उच्छंगनिवेसिय जिणो उवविसइ, एत्यंतरे जिणपुन्नमाहप्पचलियासणा ओहिनाणविन्नायजहद्वियपरमट्ठा नियनियसेणाहिवइताडिय घंटा रखपडिवोहियसुरयपमत्ततियसगणा तक्कालविउच्चि - यपवरविमाणारूढा सवालंकाररेहंतसरीरा ईसाणप्पमुहा चंदसूरपजंता एगत्तीसंपि समागया सुरिंदा, कयपणामा य ट्ठिया सट्टाणेसु, एत्थ य पत्थावे अच्चुयतियसाहिवेण भणिया नियदेवा - अहो सिग्धमुवणमेह महरिहं पसत्थं तित्थयराभिसेयं, तओ ते पहिट्ठचित्ता अट्ठोत्तरसहस्सं सुवन्नकलसाण अट्ठोत्तरसहस्सं कलहोयमयाणं एवं मणिमयाणं सुवन्नरूप्पमयाणं रुप्पमणिमयाणं सुवन्नरूप्पमणिमयाणं भोमेयगाणं अट्ठसहस्सं रयणकलसाणं, एवं भिंगाराणं पत्तेयं पत्तेयमसहस्सं विउवित्ता गया खीरोयसमुदं भरिया खीरसलिलेण सयलकलसा, गहियाई उप्पलकुमुयसयपत्तसहस्सपत्ताई, एवं पत्थतित्थाण मागहाईण वरनईणं च । सलिलं महोसहीओ सुकुमारा मट्टिया जाय ॥ १ ॥ वक्खारसेलकुलपसु सोमणसनंदणवणेसु । अंतरनइहरएसु य जाणि य कुसुमोसहिफलाई ॥ २ ॥ ational For Private & Personal Use Only jainelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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