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________________ श्रीगुणचंद ण्हवियविलित्ताए नियंसियामलमहग्यवत्थाए सुयजुयलपरिवुडाए पमोयभरनिन्भरंगीए सीलमईए पुरओ पुवणु- प्रियासमामहावीरच० भूयं कहं कहतेण तीसे य हरणपमुहं वित्तत्तं निसुणमाणेण रण्णा मालागारस्स तस्स पाडलयनामधेयस्स सचरिय गमः यथा४ प्रस्ताव मणवयारं तहाविहं सुमरियं झत्ति, तो भणिया सीलमई-पिए! पियाविह न एरिसो होइ जारिसओ स महप्पा भद्रकताच ॥१०६॥ मालागारो सिणेहपरो, भणियं सीलमईए-सचमिणं नाह!, ता कुण पसायं सुसमिद्धिवियरणेणं महाणुभावस्स तस्स तुमं, फलमेयं चिय लच्छीए नाह ! संझब्भरागचवलाए जं पूरिजंति मणोरहाओ उवयारिलोगस्स। इय सोचा से वयणं रण्णा संदणपुराउ सो सिग्छ । आणाविऊण ठविओ चोडयविसए महाराओ॥१॥ दिनो से भंडारो समप्पिया करितुरंगरहजोहा । किं बहुणा ? अत्तसमो सोऽवि को तेण नरवइणा ॥२॥ अन्नदिवसे य भजासु यसमेओ नरविक्कमो महया रिद्धिसमुदएणं गओ उजाणे, दिट्ठो सूरी, सवायरेण पणमिऊण 8 पसाहिओ समीहियसंपत्तिवइयरो, गुरुणा भणियं-महाराय ! एरिसकल्लाणवल्लिनिबंधणाणि मुणिजणचरणसेवणाणि, राइणा चिंतियं-अहो अमोहं गुरुवयणं, अहो जिणधम्मस्स माहप्पं, सचहा धन्नोऽहं जस्स मे एवंविहेण मुणि णाहेण समं संगमो जाओ, एवं च चिंतयंतेण रन्ना उवजियं सुगइकप्पतरुस्स सम्मत्तस्स बीयंति, गुरुणा भणियंहै महाराय! पडिवजसु निच्छइयं संपइ जिणधम्म, राइणा भणियं-भयवं! दृढमप्पमत्तुत्तमसत्तजणजोग्गो जिणधम्मो, ॥१०६॥ कहमम्हारिसजणा सकंति अणुपालिउं?, गुरुणा नायं-अजवि निहुरो मोहगंठी दढनिबंधणा मिच्छत्तवासणा AGRARIAS ACRORA Jain Educatio n al For Private Personel Use Only einelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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