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________________ Jain Education national जेण दीसंति तुह सन्निहा हालिया, धरइ लीलाऍ मुसलंपि किल महिलिया । एवमुलाविरं वइरिसत्थं बलो, सरइ वेगेण करकलियसियलंगलो ॥ १३ ॥ केsवि मुट्ठिष्पहारेण ताडइ भडे, अवरि मुसलेण चूरइ सहावुभडे । हलसिहग्गेण केसिंपि उरु दारए, अन्नि चलणप्पहारेण मुसुमूरए ॥ १४ ॥ एकघाएण पाडइ महाकुंजरे, तणयपूलं व गयणे खिवइ रहवरे । मुयइ करुणाय परिचत्तसयलाउहे, ठाइ निग्गयपयावोऽवि नो से मुहे ॥ १५ ॥ इय निरगत्तेण निरुवमसत्तेण निद्दुरेण बलदेवेण वलु वलु विरियहं । तक्खणि विद्धंसिओ भडमउ नासिउ सयलदिसामुह पसरियहं ॥ १६ ॥ एवं चि पइदिवस दोहवि सेन्नाण जुज्झमाणानं । विविहप्पयारभीमं एवं जायं समरठाणं ॥ १७ ॥ एत्थ पडियनरवइपियंगणाकरुणरुन्नरवभीमं । अन्नत्थ वंदितजण सवडंमुहचलियपडिहडं ॥ १८ ॥ एत्थ दंतिदसणग्गभिन्नसूरासिलेहहयरहियं । अण्णत्थ भीयकायरनिय मुहखित्तंगुली वलयं ॥ १९ ॥ एगो ऊसियकरमाहूयऽण्णोष्णवीरवरपुरिसं, अवत्थोमिंठविणटुमिंठपरिभमियगयनिवहं ॥ २० ॥ एगत्थुत्तालिमिलंत घोरवेयालविहियहलवोलं, अन्नत्थ सिवागणखजमाणगय जीवनरनिवहं ॥ २१ ॥ For Private & Personal Use Only ainelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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