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किश्चि
प्रशमरतिः हारि वृत्तिः
खरीद करायेला मकाननुं नाम निम्न प्रमाणे योजवा अने अंकित करवामां आव्यु छः मिल्कतनी मालिकीनुं सूचन]
"शेठ देवचंद लालभाई जैन पुस्तकोद्धार फंड मिल्कत (सुरत)"
SUGARCANARCOTICE
मिल्कतर्नु नामसूचन]
“आगमोद्धारक"
॥१५॥
पूर्वे मूल अवचूरी अने टीकासहित आ ग्रन्थ वि० सं० १९६६मा श्रीजैनधर्मप्रसारक सभा, भावनगर तरफथी तेम ज टीका अवचूरीसहितनु भाषान्तर पण एज संस्था तरफथी वि० सं० १९८८मा प्रसिद्ध थयुं हतुं. भावनगर संस्थाए छपावेल टीका श्रीहरिभद्रजीवाली टीका छे, एवं तेओए अनुमान कयुं छे, पण ते टीका श्रीहरिभद्रजीवाली नथी ज. अमारी आ छपावेल टीका श्रीहरिभद्रजीवाली छे, ज्यारे भावनगर संस्थाए छपावेल टीका क्यां तो आना प्रशस्ति श्लोक ३मा सूचवेल "परिभाव्य वृद्धटीकाः
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