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________________ अनन्तलब्धिनिधानाय श्रीगौतमगणेन्द्राय नमः। विवृन्दमनोज्ञकाव्यततिभिर्यः स्तूयते सर्वदा, भूपालप्रतिबोधको गुरुमतिः सिद्धान्तपारगमी । व्याख्यादान विचक्षणः शुभगुणविख्यातकीर्तिः सुधी, आनन्दाब्धिमुनीश्वरं गणपतिं वन्दे महाज्ञानिनम् ASOS ASESORAM श्रीमद्उमाखातिविरचिते प्रशमरतिप्रकरणे किञ्चिद्वक्तव्य RASARAGRAAGAR शेठ देवचंद लालभाई जैन पुस्तकोद्धार फंडना, अने श्रीमतीआगमोदय-समितिना नामथी आजे जैन-अजैनसमाजना साक्षर-18 वर्गमांथी भाग्येज कोई अणजाण हशे. फंड तरफथी आगम-प्रकरण-चरित्रादि न्हाना म्होटा सित्याशी ग्रन्थो अने आगमोदय| समिति तरफथी एकसठ अन्थो वांचकोनां हाथमा समर्पित थई चूक्या छे. फंडमांथी अन्तिम ग्रन्थ वि० सं० १९९३ मां श्रीभरतेश्वर| बाहुबलिवृत्तिनो द्वितीय विभाग “ ग्रन्थाङ्क ८७” प्रसिद्ध कर्या बाद, लगभग त्रण वर्षे " ग्रन्थाङ्क ८८" तरीके श्रीमद् उमास्वाति-13 विरचित श्रीप्रशमरति-प्रकरण नामनो आ ग्रन्थ श्रीमद् हरिभद्रसूरिना विवरण सहित वांचको समक्ष रजू कराय छे. जो के आ5 Jain Education International For Private 3. Personal Use Only n inelibrary.org
SR No.600109
Book TitlePrashamrati Prakarana
Original Sutra AuthorUmaswami, Umaswati
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1940
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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