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________________ प्रवचन जलदोणमद्धभारं समुहाई समूसिओ उ जो नव उ। माणुम्माणपमाणं तिविहं खलु लक्खणं नेयं ॥१०॥ २५८ द्वारम् ॥ सूओ १ यणो २ जवन्नं ३ तिन्नि य मंसाई ६ गोरसो ७ जूसो ८ । भक्खा ९ गुललावणिया १० मूलफला ११ हरि-1 अंगुलादयगं १२ डागो १३ ॥११॥ होइ रसालू य १४ तहा पाणं १५ पाणीय १६ पाणगं १७ चेव । अट्ठारसमो सागो १८|| दीनि गा. ॥५१३॥ निरुवहओ लोइओ पिण्डो ॥ १२॥ जलथलखहयरमंसाई तिन्नि जूसो उ जीरयाइजुओ । मुग्गरसो भक्खाणि य खंड १३९६. खजयपमोक्खाणि ॥ १३ ॥ गुललावणिया गुडप्पपडीउ गुलहाणियाउ वा भणिया । मूलफलंतिक्कपयं हरिययमिह जीर-15 १४२१ याईयं ॥ १४॥ डाओ वत्थुलराईण भजिया हिंगुजीरयाइजुया । सा य रसालू जा मज्जियत्ति तल्लक्खणं चेयं ॥१५॥ दो घयपला महु पलं दहियस्सऽद्धाढयं मिरिय वीसा । दस खंडगुलपलाई एस रसालू निवइजोगो ॥१६॥ पाणं सुराइयं पाणियं जलं पाणगं पुणो एत्थ । दक्खावाणियपमुहं सागो सो तक्कसिद्धं जं ॥ १७ ॥ २५९ द्वारम् ॥ | वुड्डी वा हाणी वा अणंत १ अस्संख २ संखभागेहिं ३ । वत्थूण संख ४ अस्संख ५णंत ६ गुणणेण य विहेया ॥१८॥ २६० द्वारम् ॥ समणी १ मवगयवेयं २ परिहार ३ पुलाय ४ मप्पमत्तं ५ च । चउदसपुर्वि ६ आहारगं च ७ न य कोइ संहरइ ॥ १९॥२६१ द्वारम् ॥ चुलहिमवंतपुषावरेण विदिसासु सायरं तिसए। गंतूणंतरदीवा तिन्नि सए टुति विच्छिन्ना ॥ २०॥ अउणावन्ननवसए FRANKARRAO ॥५१३॥ in Education Intem For Private Personel Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600108
Book TitlePravachan Saroddhar Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1926
Total Pages628
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
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