SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 606
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रवचन० सूत्रे ॥ ५०९ ॥ Jain Education मिच्छे १ सासण २ मिस्से ३ अविरय ४ देसे ५ पमत्त ६ अपमत्ते ७ । नियट्टि ८ अनियट्टि ९ सुहुमु १० वसम ११ खीण १२ सजोगि १३ अजोगि ॥ १४ गुणा ॥ २ ॥ २२४ द्वारम् ॥ गइ १ इंदिए य २ काये ३ जोए ४ वेए ५ कसाय ६ नाणेसुं ७ । संजम ८ दंसण ९ लेसा १० भव ११ सम्मे १९२ सनि १३ आहारे १४ ॥ ३ ॥ २२५ द्वारम् ॥ मइ १ सुय २ ओही ३ मण ४ केवलाणि ५ मइ ६ सुयअन्नाण ७ विभंगा ८ । अच्चक्खु ९ चक्खु १० अवही ११ केवलचउदंसणु १२ वउगा ॥ ४ ॥ २२६ द्वारम् ॥ सच्चं १ मोसं २ मी ३ असचमोसं ४ मणो तह वई य ४ । उरल १ विउवा २ हारा ३ मीस ३ कम्मयग १ मिय जोगा ।। ५ ।। २२७ द्वारम् ॥ मिच्छे सासाणे वा अविरयभावंमि अहिगए अहवा । जंति जिया परलोयं सेसेक्कारसगुणे मोतुं ॥ ६ ॥ २२८ द्वारम् ॥ मिच्छत्तमभवाणं अणाइयमणंतयं च विन्नेयं । भवाणं तु अणाई सपज्जवसियं च सम्मत्ते ॥ ७ ॥ [ मीसाखीणसजोगे न मरंतिकारसेसु अ मरंति । तेसुवि तिसु गहिएसुं परलोअगमो न अट्ठेसु ॥ ८ ॥ ] छावलियं सासाणं समहियतेत्तीस - सायर चउत्थं । देसूणपुबकोडी पंचमगं तेरसं च पुढो ॥ ८ ॥ लहुपंचक्खर चरिमं तइयं छट्टाइ बारसं जाव । इह अट्ठ गुणट्टाणा अंतमुहुत्ता पमाणेणं ॥ ९ ॥ २२९ द्वारम् ॥ अंतमुहुत्तं नरए हुंति चत्तारि तिरियमणुपसुं । देवेसु अद्धमासो उक्कोस विउद्यणाकालो ॥ १० ॥ २३० द्वारम् ॥ For Private & Personal Use Only ऊऊर २२०-३० पापभेदा दीनि गा. १२८९ १३१० ॥ ५०९ ॥ ww.jainelibrary.org
SR No.600108
Book TitlePravachan Saroddhar Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1926
Total Pages628
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy