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________________ प्रवचन सूत्रे १७२-८४ नरकना| मादीनि गा. १०७१-९३ ॥५०१॥ काऊ १ काऊ २ तह काऊनील ३ नीला ४ य नीलकिण्हा ५ य । किण्हा ६ किण्हा ७ य तहा सत्तसु पुढवीसु लेसाओ॥ ८३॥ १७८ द्वारम् ॥ | चत्तारि गाउयाई १ अछुट्ठाई २ तिगाउयं चेव ३ । अड्डाइजा ४ दोन्नि य ५ दिवट्ठ ६ मेगं च ७ नरयोही ॥ ८४॥ १७९ द्वारम् ॥ | अंबे १ अंबरिसी २ चेव, सामे य ३ सबलेइ य ४ । रुद्दो ५ वरुद्द ६ काले य ७, महाकालित्ति ८ आवरे ॥ ८५॥ हा असिपत्ते ९ धणू १० कुंभे ११, वालू १२ वेयरणी इय १३ । खरस्सरे १४ महाघोसे १५, पन्नरस परमाहम्मिया ॥८६॥ |१८०द्वारम् ॥ । तिसु तित्थ चउत्थीए केवलं पंचमीइ सामन्नं । छट्ठीऍ विरइऽविरई सत्तमपुढवीइ सम्मत्तं ॥ ८७॥ पढमाओ चक्कवट्टी दबीयाओ रामकेसवा हुंति । तच्चाओ अरहंता तहतकिरिया चउत्थीओ ॥ ८८ ॥ उबट्टिया उ संता नेरइया तमतमाओ पुढवीओं। न लहंति माणुसत्तं तिरिक्खजोणिं उवणमंति ॥ ८९॥छट्ठीओ पुढवीओ उबट्टा इह अणंतरभवंमि । भज्जा मणुस्सजम्मे संजमलंभेण उ विहीणा ॥ ९॥ १८१ द्वारम् ॥ | अस्सन्नी खलु पढमं दोच्चं च सरिसिवा तइय पक्खी । सीहा जंति चउत्थिं उरगा पुण पंचमि पुढविं ॥९१॥ छडिं |च इत्थियाओ मच्छा मणुया य सत्तमि पुढवि । एसो परमुववाओ बोद्धवो नरयपुढवीसु ॥ ९२॥ वालेसु य दाढीसु य पक्खीसु य जलयरेसु उववन्ना । संखिज्जाउठिईया पुणोऽवि नरयाउया हुंति ॥ ९३ ॥ १८२-१८३-१८४ द्वारम् ॥ 40CREAMCAESARKARANCE ॥५०१॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600108
Book TitlePravachan Saroddhar Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1926
Total Pages628
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
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