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॥ ७१ ॥ रयणप्पह १ सक्करपह २ वालुयपह ३ पंकपहमिहाणाओ ४ । धूमपह ५ तमपहाओ ६ तहा महातमपहा ७ पुढवी ।। ७२ ।। १७२ द्वारम् ॥
तीसा य १ पनवीसा २ पन्नरस ३ दस ४ चैव तिन्नि ५ य हवंति । पंचूण सयसहस्सं ६ पंचैव ७ अणुत्तरा नरया ॥ ७३ ॥ १७३ द्वारम् ॥
सत्तसु खेत्तसहावा अन्नोऽनुद्दीरिया य जा छट्ठी । तिसु आइमासुं वियणा परमाहम्मियसुरकया य ॥७४॥१७४ द्वारम् ॥ सागरमेगं १ तिय २ सत्त ३ दस ४ य सत्तरस ५ तह य बावीसा ६ । तेत्तीसं ७ जाव ठिई सत्तसु पुढवीसु उक्कोसा ॥ ७५ ॥ जा पढमाए जेट्ठा सा बीयाए कणिट्ठिया भणिया । तरतमजोगो एसो दसवाससहस्स रयणाए ॥ ७६ ॥ १७५ द्वारम् ॥ पढमा पुढवी नेरइयाणं तु होइ उच्चत्तं । सत्त धणु तिन्नि रयणी छच्चेव य अंगुला पुण्णा ॥ ७७ ॥ सत्तमपुढवीऍ पुणो पंचैव धणुस्सयाई तणुमाणं । मज्झिमपुढवीसु पुणो अणेगहा मज्झिमं नेयं ॥ ७८ ॥ जा जम्मि होइ भवधारणिज्ज अवगाहणा य नरएसु । सा दुगुणा बोद्धवा उत्तरवेउवि उक्कोसा ॥ ७१ ॥ भवधारणिजरूवा उत्तरविउधिया य नरपसु । ओगाहणा जहन्ना अंगुलअस्संखभागो उ ॥ ८० ॥ १७६ द्वारम् ॥
वसई मुहुत्ता १ सत्त अहोरत २ तह य पन्नरस ३ । मासो य ४ दो य ५ चउरो ६ छम्मासा ७ विरहकालो उ ॥ ८१ ॥ उक्कोसो रयणाइसु सवासु जहन्नओ भवे समयो । एमेव य उबट्टणसंखा पुण सुरवरुत्तुल्ला (राण समा ) ॥ ८२ ॥ १७७ द्वारम् ॥
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