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प्रवचनापाणे । उसिणे दवस्स दुन्नी तिन्नि व सेसा उ भत्तस्स ॥ ८६९ ॥ एगो दवस्स भागो अवडिओ भोयणस्स दो भागा।|| १२६-३६ वहुंति व हायति व दो दो भागा उ एक्केके ।। ८७० ॥१३२ द्वारम् ॥
आज्ञादीनि, | पट्टीवंसो दो धारणाउ चत्तारि मूलवेलीओ । मूलगुणहिँ विसुद्धा एसा हु अहागडा वसही ॥ ८७१ ॥ वंसगकडणो- गा. ॥४९३॥
|कंवण छायण लेवण दुवारभूमी य । परिकम्मविप्पमुक्का एसा मूलुत्तरगुणेसु ॥ ८७२ ॥ दूमिय धूविय वासिय उज्जोइय ८५७-८२
बलिकडा अवत्ता य। सित्ता संमट्ठावि य विसोहिकोडिं गया वसही ॥ ८७३ ॥ मूलुत्तरगुणसुद्धं थीपसुपंडगविवज्जियं | वसहिं । सेविज सबकालं विवजए हुंति दोसा उ ॥ ८७४ ॥ १३३ द्वारम् ॥ ॥ चत्तारि विचित्ताई ४ विगईनिज्जूहियाई चत्तारि ८। संवच्छरे य दोन्नि उ एगंतरियं च आयाम १० ॥ ८७५ ॥ नाइ| विगिट्ठो य तवो छम्मासे परिमियं च आयाम । अवरेऽवि य छम्मासे होइ विगिटुं तवोकम्म ११॥ ८७६ ॥ वासं कोडीसहियं १२ आयामं कट्ठ आणुपुबीए । गिरिकंदरं व गंतुं पाओवगर्म पवजेइ ॥ ८७७ ॥ १३४ द्वारम् ॥
नयराइएसु घेप्पइ वसही पुवामुहं ठविय बसहं । वामकडीइ निविट्ठ दीहीकअग्गिमेकपयं ॥८७८॥ सिंगक्खोडे कलहो ठाणं पुण नेव होइ चलणेसु । अहिठाणे पोट्टरोगो पुच्छंमि य फेडणं जाण ॥ ८७९ ॥ मुहमूलंमि य चारी सिरे य कउहे य पूयसकारो । खंधे पट्ठीय भरो पुटुंमि य धायओ वसहो ॥ ८८०॥ १३५ द्वारम् ॥ | उसिणोदगं तिदंडुक्कलियं फासुयजलंति जइकप्पं । नवरि गिलाणाइकए पहरतिगोवरिवि धरियवं ॥ ८८१॥ जायइ ॥४९३॥ सचित्तया से गिम्हमि पहरपंचगस्सुवरि । चउपहरोवरि सिसिरे वासासु पुणो तिपहरुवरि ॥ ८८२ ॥ १३६ द्वारम् ॥
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