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________________ आयारपकप्पाई सेसं सर्व्वं सुयं विणिदि २ । देसंतरट्ठियाणं गूढपयालोयणा आणा ३ ।। ८५७ ॥ गीयत्थेणं दिन्नं सुद्धिं अवहारिकण तह चैव । दिंतस्स धारणा तह उद्धियपयधरणरूवा वा ४ ॥ ८५८ ॥ दबाइ चिंतिऊणं संघयणाईण हाणि - मासज्ज | पायच्छित्तं जीयं रूढं वा जं जहिं गच्छे ५ ।। ८५९ ।। १२६ द्वारम् । पंच अहाजायाई चोलगपट्टो १ तहेव रयहरणं २ । उन्निय ३ खोमिय ४ निस्सेज्जजुयलयं तह य मुहपोत्ती ५ ॥८६० ॥ १२७ द्वारम् ॥ सबेsवि पढमजा दोन्नि य वसहाण आइमा जामा । तइओ होइ गुरूणं चउत्थ सबे गुरू सुयइ ॥ ८६१ ॥ १२८द्वारम् ॥ सहुद्धरणनिमित्तं गीयस्सऽन्नेसणा उ उक्कोसा । जोयणसयाई सत्त उ बारस वासाई कायवा ।। ८६२ ।। १२९ द्वारम् ॥ जावज्जीवं गुरुणो असुद्धसुद्धेहिं वावि कायवं । वसहे बारस वासा अट्ठारस भिक्खुणो मासा ॥ ८६३ ॥ १३० द्वारम् ॥ अप्पत्ते च्चिय वासे सबं वहिं धुवंति जयणाए । असईए उदगस्स उ जहन्नओ पायनिज्जोगो ॥। ८६४ ॥ आयरिय गिलाणाणं मइला मइला पुणोवि धोइज्जा । मा हु गुरूण अवण्णो लोगम्मि अजीरणं इअरे ॥ ८६५ ॥ १३१ द्वारम् ॥ बत्तीस किरकवला आहारो कुच्छिपूरओ भणिओ । पुरिसस्स महिलियाए अट्ठावीसं भवे कवला ॥ ८६६ ॥ अद्धमसणस्स सर्वजणस्स कुज्जा दवस्स दो भाए । वायपवियारणट्ठा छन्भागं ऊणयं कुज्जा ॥ ८६७ ॥ सीओ उसिणो साहारणो य कालो तिहा मुणेयचो । साहारणंमि काले तत्थाहारे इमा मत्ता ॥ ८६८ ॥ सीए दवस्स एगो भत्ते चत्तारि अहव दो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600108
Book TitlePravachan Saroddhar Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1926
Total Pages628
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
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