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________________ तित्थयर १ अतित्थयरा २ तित्थ ३ सलिंग ४ ऽन्नलिंग ५ थी ६ पुरिसा ७ । गिहिलिंग ८ नपुंसक ९ अतिसिद्धत्थ! १० पत्तेयबुद्धा ११ य ॥ ४७३ ॥ एग १२ अणेग १३ सयंबुद्ध १४ बुद्धबोहिय १५ पभेयओ भणिया । सिद्धते सिद्धाणं है। भेया पन्नरससंखत्ति ॥ ४७४ ॥ ४९ द्वारम् ॥ दो चेवुक्कोसाए चउर जहन्नाए मज्झिमाए उ । अट्ठाहियं सयं खलु सिज्झइ ओगाहणाइ तहा ॥ ४७५ ॥ ५० द्वारम् ॥ इह चउरो गिहिलिंगे दसऽन्नलिंगे सयं च अट्ठहियं । विन्नेयं च सलिंगे समएणं सिज्झमाणाणं ॥४७६॥ ५१ द्वारम् ॥ बत्तीसाई सिज्झति अविरयं जाव अट्ठअहियसयं । अट्ठसमएहिं एक्केणं जावेक्कसमयंमि ॥ ४७७ ॥ बत्तीसा अडयाला सट्ठी बावत्तरी य बोद्धया । चुलसीई छन्नउई दुरहियमहोत्तरसयं च ॥ ४७८ ॥ ५२ द्वारम् ॥ वीसित्थीगाउ पुरिसाण अद्वसयं एगसमयओ सिझे । दस चेव नपुंसा तह उवरिं समएण पडिसेहो ॥ ४७९ ॥ वीस नरकप्पजोइस पंच य भवणवण दस य तिरियाणं । इत्थीओ पुरिसा पुण दस दस सबेऽवि कप्पविणा ॥ ४८०॥ कप्पदुसयं पुहवी आऊ पंकप्पभाउ चत्तारि । रयणाइसु तिसु दस दस छ तरूणमणंतरं सिझे ॥ ४८१॥५३॥ द्वारम् ॥ । दीहं वा इस्सं वा जं संठाणं तु आसि पुबभवे । तत्तो तिभागहीणा सिद्धाणोगाहणा भणिया ॥ ४८२ ॥ जं संठाणं तु इहं भवं चयंतस्स चरिमसमयंमि । आसीय पएसघणं तं संठाणं तहिं तस्स ॥४८३ ॥ उत्ताणओ य पासिल्लओ य ठियओ निसन्नओ चेव । जो जह करेइ कालं सो तह उववज्जए सिद्धो॥ ४८४ ॥ ५४ द्वारम् ॥ Jan Education Intemani For Private Personel Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600108
Book TitlePravachan Saroddhar Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1926
Total Pages628
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
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