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________________ असई सम्मं उवओगपडियरियं ॥ २१३ ॥ गुरुदत्तसेसभोयणसेवणयाए य सोहियं जाण । पुण्णेवि थेवकालावत्थाणा तीरियं होइ ॥ २१४ ॥ भोयणकाले अमुगं पच्चक्खायंन्ति भुंज कित्तीयं । आराहियं पयारेहिं सम्ममेएहिं निट्ठवियं ॥ २१५ ॥ वयभंगे गुरुदोसो थेवस्सवि पालणा गुणकरी उ । गुरुलाघवं च नेयं धम्मंमि अओ उ आगारा ॥ २१६ ॥ दुद्धं देहि | नवणीयं धेयं तहा तेल्लैमेव गुड मैज्जं । महु मंसं चैव तहा ओगाहिमंगं च विगईओ ॥ २१७ ॥ गोमहिसुट्टीपसूणं एलग खीराणि पंच चत्तारि । दहिमाइयाई जम्हा उट्टीणं ताणि नो हुंति ॥ २९८ ॥ चत्तारि हुंति तेल्ला तिल अयसि कुसुंभ सरिसवाणं च । विगईओ सेसाणं डोलाईणं न विगईओ ॥ २१९ ॥ दवगुडपिंडगुडों दो मज्जं पुण कट्ठपिट्ठनिप्फन्नं । मच्छिय कुत्तियभामरभेयं च महुं तिहा होई ॥ २२० ॥ जलथलखहयरमंसं चम्मं वस सोणियं तिभेयं च । आइल्ल तिण्णि चलचल ओगाहिमगं च विगईओ ॥ २२१ ॥ खीरदहीवियडाणं चत्तारि उ अंगुलाणि संसङ्कं । फाणियतिल्लघयाणं अंगुउमेगं तु संसङ्कं ॥ २२२ ॥ महुपुग्गलरसयाणं अद्धङ्गुलयं तु होइ संसङ्कं । गुलपुग्गलनवणीए अद्दामलयं तु संसङ्कं ॥ २२३ ॥ विर्गई विगइगयांणि य अनंतकायाणि वज्जवत्थूणि । दस तीस बत्तीसं बॉबीसं सुणह वन्नेमि ॥ २२४ ॥ दुद्धे देहि तिलै नर्वेणीय घये गुर्डे महुँ मंस मज्जे पंक च । पेण च च च च दुर्गतिगँ तिर्ग दुर्ग एपडिभिन्नं ॥ २२५ ॥ दवहया विगइगयं विगई पुण तेण तं हयं दवं । उद्धरिए तत्तंमि य उक्किट्ठदवं इमं अन्ने ॥ २२६ ॥ अह पेया दुद्धेट्टी दुद्धर्वलेही य दुद्धसाडी य । पंच य विगइगयाई दुर्द्धमि य खीरिसेहियाई ॥ २२७ ॥ अंबिलजुयंमि दुद्धे दुद्धट्ठी दक्खमीसरर्द्धमि । पय| साडी तह तंडुलचुण्णयसिद्धमि अवलेही || २२८ ॥ दहिए विगइगयाई घोलवडां घोल सिहरिणि करंबो । लवणकणद Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600108
Book TitlePravachan Saroddhar Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1926
Total Pages628
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
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