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________________ HARE त्तरि सयसहस्साई ।। ४१९ ॥ पुरओ जहक्कमेणं सही पण्णास चत्त तीसा य । वीसा दस दो चेव य लक्खेगो चेव पुवाणं ॥ ४२० ॥ सेजंसतिविट्टणं चुलसीई वाससयसहस्साइं । पुरओ जिणकेसीणं धम्मो ता जाव तुल्लमिणं ॥४२१ ॥ कमसो बावत्तरि सहि तीस दस चेव सयसहस्साई । मघवस्स चकिणो पुण पंचेव य वासलक्खाइं ॥४२२ ॥ तिन्नि य सणंकुमारे संतिस्स य वासलक्खमेगं तु । पंचाणउइ सहस्सा कुंथुस्सवि आउयं भणियं ॥ ४२३ ॥ चुलसीइ सहस्साई तु आउयं होइ अरजिणिंदस्स । पणसहिसहस्साई आऊ सिरिपुंडरीयस्स ॥ ४२४ ॥ सहिसहस्स सुभूमे छप्पन्न सहस्स हुंति दत्तस्स । पणपण्णसहस्साई मल्लिस्सवि आउयं भणियं ॥४२॥ सुव्वयमहपउमाणं तीस सहस्साइं आउयं भणियं । वारस वाससहस्सा आऊ नारायणस्स भवे ॥४२६ ॥ दस वाससहस्साई नमिहरिसेणाण हुंति दुण्हंपि । तिण्णेव सहस्साई आऊ जयनामचक्किस्स ॥ ४२७ ॥ वाससहस्सा आऊ नेमीकण्हाण होइ दोण्हपि । सत्त य वाससयाइं चक्कीसरबंभदत्तस्स ॥ ४२८ ॥ वाससयं पासस्स य वासा बावत्तरिं च वीरस्स । इय बत्तीस घराई समयविहाणेण भणियाई ॥४२९ ॥ 'बत्तीस मित्यादि गाथाश्चतुर्विशतिः, इह प्रज्ञापकेनालेखोपदर्शनार्थ पट्टिका सम्मुखमायता स्थाप्यते न तिर्यक् , तत्र तिर्यगायताभिखयविंशता रेखाभित्रिंशतं गृहकाणि कृत्वा ऊ यताभिः पतिः रेखाभिः पञ्च गृहकाणि क्रियन्ते, कृत्वा च ततस्तत्र पञ्चगृहकमध्ये in Eduar For Private 3 Personal Use Only
SR No.600107
Book TitlePravachan Saroddhar Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1922
Total Pages444
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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