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________________ ओगेणं । कारावई विणासं, छण्हं सत्थप्पओगेणं ॥ १६ ॥ एवं हयासु सव्वासु तासु सा नियसमीहियं काउं। उवभुंजइ वरभोए सह महसयगेण निस्संका ॥ १७ ॥ अण्णंमि दिणे रण्णा रायगिहे पुरवरे कहिंचि महे । घो साविया अमारी तत्थ य सा रेवई पावा ॥ १८ ॥ मज्जं मंसं च विणा मुहुत्तमवि चिट्ठिउं अपारंती । नियगोId उलिए सहाविऊण अह भणइ एगते ॥ १९ ॥ भो ! कोऽवि जह न याणइ मंसं तह दोण्ह तरुणवच्छाणं । संपा डह मह निच्चं मज्झ च्चिय गोउलेहिंतो ॥२०॥ किजंते तेहि तहेव तीए वयणमि सा तओ पभिई । कल्होडयमंसे । चिय जाया अच्चंतगिद्धिपरा ॥ २१ ॥ महसयगो उण चोदसवरिसे सामण्णओ निरइयारं । परिवालिऊण सावगधम्म । पण्णरसमे वरिसे ॥ २२ ॥ गिहसामियं ठवित्ता जेटुं पुत्तं तओ निरारंभो । पोसहसालाएँ ठिओ सावगपडिमासु उज्जमिउं ॥ २३ ॥ एत्थंतरंमि सा रेवई य मइरामएण घुम्मंता । मयणाइत्ता पभणइ पोसहसालाएँ आगंतुं ॥२४॥ भो सयगसावया ! तं धम्मत्थी कि किलिस्ससी एवं? | धम्मस्सवि जेण फलं भोगा ते तुज्झ सायत्ता ॥ २५ ॥ ता भुंजसु सेच्छाए अणुरत्ताए तुमं मए सद्धिं । एए मा परिवज्जसु हत्थगएऽणागयासाए ॥ २६ ॥ एवं भणमाणीयवि तीए अविमन्निऊण सो वयणं । छन्वरिसे जाव दढं, फासिय पडिमाउ सव्वाओ॥२७॥ अद्वितयमेतदेहो पडिवन्नो Jan Education in For Private Personel Use Only Jww.jainelibrary.org
SR No.600105
Book TitleNavpad Prakaranam
Original Sutra AuthorYashovijay Upadhyay
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1927
Total Pages710
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size14 MB
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