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________________ पमत्ताणं । निद्दाविमोक्खणा तइय होइ पुण सम्मदिट्ठीणं ॥ ७ ॥ तेच्चिय जेण सदक्खा सुधम्मचिंतापरा तओ तेऽवि । भीयमणा तं सोउं खामंति पुणो पुणो संखं ॥ ८ ॥ एगट्ठा पसिगाई पुच्छंतहाइ आइयंति तहा । एयत्थो अट्ठपए उतररूवे पगेण्हंति ॥ ९॥ पसिणाई पुच्छिओ जाण साहई जिणवरो महावीरो । वच्चंति तओ गेहं वंदित्तु पुणोवि जिणचंदं ॥१०॥ गोयमसामीवि पुणो भणइ जिणं बंदिऊण नाह ! इमो । पव्वइहि किं संखो अगारवासं परिच्चइउं ? ॥ ११॥ तित्थयरेण य भणियं-गोयम ! न पव्वइस्सइ केवलमेसो पभयवरिसाई । पालियसावगधम्मो. संपत्ते कालमासंमि ॥१२॥ कालं काउं विहिणा, सोहम्मे होइउं सुरत्तेण । तत्तो चुओ समाणो महाविदेहमि सिज्झिहिइ ॥ १३ ॥ शङ्खकथानकं समाप्तम् ॥ आनन्दकथानकं तु-अत्थि इहेब भरहवासे वासवपुरं पिव विबुहमणसंतोसजणयं जणयाइविणयप्पहागणपउरजणाहिट्ठियंठियनाणाइगुणसुसाहुजणज्झाणकुंतग्गभिण्णमयणदसणुप्पन्नसोयभरविहुररइपलावाणुकारिसु-|| व्वमाणभवणवावीविहारिहारिहंससारसाइसउणसंघायकयकोलाहलं लाहलडप्पसिद्धिसुद्धववहारववहरंतविढत्तसंपया पयाणसमुवज्जियासमुदंतपवरकित्तिवित्थरालंकरियपउरवाणियं वाणियगामं नाम नयरं, जं सबाला Jain Education Interna For Private & Personel Use Only Trjainelibrary.org
SR No.600105
Book TitleNavpad Prakaranam
Original Sutra AuthorYashovijay Upadhyay
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1927
Total Pages710
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size14 MB
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