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________________ Jain Education पीइसकारेणं अव अईव बढामि, तो जाव कल्लाणे फलवित्तिविसेसे ताव मे सेयं कल्लं पाउप्पहायाए रयणीए सुबहु भत्तपाणं उवक्खडावेत्ता मित्तनाइनियगसंबंधिपरियणं भोयावेत्ता, सुबहु लोहीलोहकडाहकडुच्छाइते पसत्थ ताव सभंडगं घडावेत्ता सिवभद्दं कुमारं रज्जे ठावेत्ता दिसापोक्खियतावसत्ताए पव्वइत्तए, पव्वइएविय णं समाणे एवं एयारूवं अभिग्ग अभिगिन्हि - सामि - कप्पर मे जावज्जीवाए छछट्ठेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड़ बाहाओ परिगिज्झिय २ मुराभिमुहस्स आयावणभूमी आया माणस विहरत्तए । छट्टखमणपारणगंसि य दिसाचकवालेणं जाव फलाइ गिण्हित्तए, इच्चाइ सव्वं, पभाए तहेव करेइ जाव विभद्दं रायं आउच्छित्ता दिसापोखियतावसत्ताए पव्वइए, नो होत्तियतावसत्ताए जाव नो हत्थि - तावसत्ताए । तए णं से सिवगरायरिसी पढमे छपारणगंसि आयावणभूमीओ पच्चुत्तरह, जेणेव गंगामहानई तेणेव उवागच्छ, गंग ओगाइ, जलमज्जणं करेइ, दब्भकलसहत्थगए गंगाए उत्तरित्ता पुब्वाए दिसाए सोमे महाराया पत्थाणे पत्थियं सिवं रायरिसिं अभिरक्खड, जाई तत्थ कंदाई मूलाई फलाई समिहाओ य ताई अभिजाणड, दिसिं अभोक्खेर, दिसं पसरइ फलकुसुमदब्भाइ गेण्हेति, जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छ, संकाइथं सुयइ, मट्टियाए पालिं बंधेइ, अरणिएण नवं अरिंग उप्पाएत्ता, महुघयनीवाराइणा अग्गिहोतं कारावेत्ता वइस्सदेवं बलिं करेइ, तओ अप्पणा आहारेइ, तओ छहं करेइ, बिछट्टखमणपारणगंसि दक्खिणाए दिसाए जमे महाराया अणुजाणावेइ, एवं तइयं, तओ पच्छिमार वरुणे महाराया, उत्तराए वेसमणे महाराया अणुजाणावेइ, एवं एएणं चक्रवालेणं तवं चतस्स पराए भयाए पराए विणी याए पयणुको हमाentertaire विभंगे अन्नाणे समुप्पने, पासइ अस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा, तेण परं बोच्छिन्ना दीवा य समुदाय, तए For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600103
Book TitleNavpada Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevguptasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1926
Total Pages138
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size8 MB
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