________________
श्री नवपद लघु. संले
खना.
॥ ५८ ॥
Jain Education Inte
॥ १५ ॥ अनिवारितसच्छंदा बहु व वासा तवं च काऊण । आलोयणं च दाउ अणसणविहिणा गया सग्गं ॥ १६ ॥ सोहम्मे सिरिनामा देवग गणिया महिडि पलाऊ । तत्तो चुया विदेहे बोहि लद्धं पुणो मोक्खं ॥ १७ ॥ पंडरज्जाकहाणं संखेवेणं सम्मत्तं । गुणद्वारमाह
एग पंडियमरणं छिंदइ जाईसयाई बहुयाई । दितो महसयगो मंडुक्को नंदजीवो वा ॥ १३३ ॥
'एकं ' असाधारण 'पंडितमरणं ' आलोचनादिपूर्व सर्वविरतिमरण ' छिनत्ति ' विदारयति, कानि ? - जातिशतानि बहूनि दृष्टान्तोऽत्र महाशतकः श्रावकः, मंडुको नन्दश्रावकजीवो वेति गाथार्थः ॥
महाशतककथानकम् - रायगिहे गुण सिलए सेणियराया महासयगसट्टे । रेवइपामोक्खाओ तेरस भज्जाओ से तस्स ॥ १ ॥ रेवइकुलहरियाओ अठ्ठ हिरण्णस्स होंति कोडीओ । वुडिनिहाणपवित्थर अट्ठ वया दससहसाउ || २ || तेरसभज्जसमेयं मेहुकम्मं न सेसरमणीहिं । एवं सेवयाणं परिमाण कुणड़ भंगेहिं ॥ ३ ॥ संमत्तपुव्वाणं सपमेयाणं वाण सव्वाणं । गहण हत्तीए अभिगाणं अणेगा || ६ || अभिगयजीवाजीवो पुत्रपावे य लद्धसन्धावा । समणे पडिला भेई भत्तण कप्पणि ॥ ५ ॥ अह रेवर चिंतेइ सवत्तित्वाघाय कारणा अहयं । महसयगेण सद्धि भोगा णो संतय लहामि ॥ ६ ॥ ता मारेमी एया विससत्थाईपओगओ अहयं । जेण हिरण्णं मज्झं महसयगो तहय अणुकुलो ॥ ७ ॥ अंतर वियाणिऊण विसप्पओगं पउजए छ । सत्थपओग छण्हं निराकुला भुंजई भोगे || ८ || अह मंसलोलुया सा मज्जं पियइइमुच्छिया पावा । घुडे य अमाधाए गोणे दो कुलहरे मारे ॥ ९ ॥ अह पन्नरसे वासे पोसहसालाएं पविसई सयए । अह मत्ता सा पावा उवसग्गं कुणइ सयगस्स ॥ १० ॥
For Private & Personal Use Only
गुणे गा. १३३ महा
शतक नन्द
कथे
॥ ५८ ॥
jainelibrary.org