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________________ बज्झचरणाउ नेअं विसुद्धभावत्तणं विसुद्धाओ । बज्झे सइ आणाओ इअराभावेवि न उ दोसो ॥६००॥ सीसस्स हवइ एत्थं परिणामविसुद्धिओगुणोचेव।सविसयओएसोच्चिअसत्थो सवत्थ भणियमिणं ॥६०१॥ परमरहस्समिसीणं संमत्तगणिपिडगहत्थसाराणं । परिणामि पमाणं निच्छयमवलंबमाणाणं ॥६०२॥ अंगारमद्दगस्सवि सीसा सुअसंपयं जओ पत्ता । परिणामविसेसाओ तम्हा एसो इहं पवरो॥६०३ ॥ एसो पुण रागाईहऽबाहिओ विसयसंपयट्टो उ । सुहुमाणाभोगाओ ईसिं विगलोऽवि सुद्धोत्ति ॥ ६०४॥ छउमत्थो परमत्थं विसयगयं सबहा न याणाई । सेअममिच्छत्ताओ इमस्स मग्गाणुसारित्तं ॥ ६०५॥ जो पुण अविसयगामी मोहा सविअप्पनिम्मिओ सुद्धो। उबले व कंचणगओ सो तम्मि असुद्धओ भणिओ ॥ ६०६॥ मोत्तूणुककडदोसं साहम्माभावओ नहि कयाइ । हवइ अतत्ते तत्तं इइ परिणामो पसिद्धमिणं ॥६०७॥ देवयजइमाईसुवि एसो एमेव होइ दढच्चो । विसयाविसयविभागा बुहेहिमइनिउणबुद्धीए ॥ ६०८ ॥ एसा पइदिणकिरिआ समणाणं बनिआ समासेणं । अहुणा वएसु ठवणं अहाविहिं कित्तइस्सामि ॥६०९॥ पइदिणकिरियाइ इहं सम्मं आसेविआए संतीए । वयठवणाए धन्ना उर्विति जं जोग्गयं सेहा ॥ ६१०॥ इइ पइदिणकिरिया । द्वितीयं द्वारं समाप्सम् ॥ For Private Personel Use Only ww.jainelibrary.org
SR No.600102
Book TitlePanchvastuka Granth
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
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