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________________ मन्दिसूत्रम् । 113011 Jain Education Inte [A] अवग्रहना पर्याय:- १. अवग्रहणता २. उपधारणता ३. श्रवणता ४ अवल बनता ५. मेधा. [B] ईहाना पर्याय:- १. आभोगनता २. मार्गणता ३. गवेषणता ४. चिन्ता ५. विमर्श. [C] अवायना पर्याय:- १. आवर्तनता २ प्रत्यावर्तनता ३. अपाय ४. बुद्धि ५. विज्ञान. [D] धारणाना पर्याय:- १. धारणा २. साधारणा ३. स्थापना ४ प्रतिष्ठा ५. कोष्ठ [E] आभिनिबोधिकना पर्याय ( मतिज्ञानना पर्याय:- १. ईहा २. अपाय ३. विमर्श ४. मार्गणा ५. गवेषण ६. संज्ञा ७ स्मृति ८. प्रज्ञा [१०] श्रुतज्ञान:- त्यारबाद परोक्ष श्रुतज्ञानना १४ भेद बतावे छे. पछी ते १४मा भेदना पेटाभेदने पूर्ण करतां परोक्षज्ञान, श्रुतज्ञान अने ज्ञानमार्गनुं निरूपण पूर्ण करतां ग्रंथनी समाप्ति करे छे. प्रत्येक भेद-प्रभेदो नीचे मुजब जाणी लेवा. [१] अक्षरश्रुतः- संज्ञाक्षर - [1]संज्ञाक्षर एटले अक्षरना संस्थाननी आकृति [2] व्यंजनाक्षर अकारादि अक्षरों उच्चारण. [ 3 ] लब्धिअक्षर शब्द- अर्थनी विचारणाने अनुसरतो बोध. आगळना वे भेद द्रव्यश्रुत छे. ज्यारे त्रीजो भेद भावश्रुत छे. मन अने इन्द्रियना विज्ञानथी उत्पन्न थती घटादि पदार्थनी अक्षरलब्धि जे समजण ते लब्धिअक्षर समजवो. तेना ५ इन्द्रिय अने मनना कारणे छ भेद छे. [२] अनक्षर श्रुतः- तेना उच्छवास, निच्छ्वास, निष्ठयुत (थुंकवु ) खांसी, छींक, निसिंघन, अनुस्वारादि अनेक प्रकारो छे. For Private & Personal Use Only प्रस्तावना | 113011 www.jainelibrary.org
SR No.600097
Book TitleNandisutram
Original Sutra AuthorDevvachak
AuthorMalaygiri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1969
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_nandisutra
File Size14 MB
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