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नन्दिसूत्रम्।
प्रस्तावना।
॥६॥
[१] प्रथम आसन्न उपकारी चरम तीर्थपतिने नमस्कार (श्लोक १-३) [२] सर्व तीर्थपतिने पण पूज्य एवा संघनी अनेक उपमाओथी स्तुति (४-१७) [३] वर्तमान चोवीशीना तीर्थपतिनी स्तुति (१८-२१) [४] वीर भगवंतना गणधरोनु नामोच्चारण (२२-२३) [५] पंचम गणधरथी पोताना गुरु सुधीनी परंपरानुवर्णन (२५-५०) [६] श्रोतागणना गुणदोषनु वर्णन । [७] ज्ञानना भेदो।
[अ] ज्ञानना पांच भेद [ब] तेना प्रत्यक्ष अने परोक्ष बे भेद [क] तेमांना प्रत्यक्षना इन्द्रियप्रत्यक्षना बे भेद
[ड] नोइन्द्रिय प्रत्यक्षना त्रण भेद [८] नोइन्द्रिय प्रत्यक्षना त्रण भेदनुं वर्णन
अ] अवधिज्ञान [व] मनःपर्यवज्ञान [क] केवलज्ञान [९] परोक्ष ज्ञानना प्रथम भेद आभिनिबोधिक ज्ञाननुं वर्णन
॥६॥
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