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संग्रहः
साक्षिग्रं.
श्रीधर्म- ६० बृहद्भाष्यम् १२९-१३०-१३१-१३४-१४५-१६५-२५४॥ |७४ समरादित्यचरित्रम् १४०॥ ६१ महानिशीथम् १३१-१६६-२०९॥ १७ (२)
७५ सम्यक्त्वप्रकरणम् १४०॥ ॥५॥ 18 ६२ वसुदेवहिण्डी १३१॥
७६ विवाहचूलिका १४२॥ ६३ (चैत्यवंदन) भाष्यं १३१-१३३-१३४-२११॥५४ ७७ वीतरागस्तवः १५७॥ 18 ६४ वन्दनकचूर्णिः १३२॥
७८ तत्त्वार्थः १५८॥ | ६५ जीवामिगमः १३३॥
७९ सिद्धप्राभृतं १६१॥ ६६ ललितविस्तरा १३४॥
८० यापनीयतनं १६२॥ |६७ विचारामृतसंग्रहः १३४॥
८१ सम्यक्त्ववृत्तिः १६७॥ ६८ उमास्वातिवाचककृतं प्रकरणं १३५॥
८२ श्राद्धजीतकल्पः १६८-२४६ (२) २५॥ ६९ संघाचारवृत्तिः १३६-१४६-१५३-१९६॥
८३ गुरुवंदनभाष्यम् १६९॥ ७० हैमिवीरचरित्रम् १३९॥
८४ प्रत्याख्यानभाष्यं १८५।। ७१ पद्मचरित्रम् १३९-१४०-१९२॥
८५ हितोपदेशमाला १९९-२००॥ ७२ बृहच्छांतिस्तवः १३९॥
८६ पाक्षिकचूर्णिः २०९॥ ७३ त्रिषष्टीयादिचरितं १३९।।
८७ प्रतिक्रमणगर्भः २०९॥
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