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श्रीजीवाजीवाभि मलयगिरीयावृत्तिः
नतिपत्तो प्रथमसमयकादीनां स्थिातका| यस्थित्यन्तराल्प
॥४३३॥
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उक्कस्सेणं एगिदियाणं वणस्सतिकालो, येइंदियतेइंदियचउरिंदियाणं संखेनं कालं पंचेंदियाणं सागरोवमसहस्सं सातिरेग॥पढमसभयएगिदियाणं केवतियं अंतरं होति?, गोयमा! जहन्नेणं दो खुडागभवग्गहणाई समऊणाई, उक्को० वणस्सतिकालो, अपढमएगिदिया अंतरं जहाणेणं खुडागं भवग्गणं समयाहियं उक्को दो सागरोवमसहस्साई संखेजवासमभहियाई, सेसाणं सव्वेसिं पढमसमयिकाणं अंतरं जह० दो खुड्डाई भवग्गहणाई समऊणाई उक्को० वणस्सतिकालो, अपढमसमयिकाणं सेसाणं जहण्णेणं खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं उक्को० वणस्सतिकालो ॥ पढमसमइयाणं सव्वेसिं सव्वत्धोवा पढमसमयपंचेंदिया पढम चउरिदिया विसेसाहिया पढम० तेइंदिया विसेसाहिया ५० बेइंदिया विसेसाहिया प० एगिदिया विसेसाहिया । एवं अपढमसमयिकावि णवरि अपढमसमयएगिदिया अणंतगुणा । दोण्हं अप्पबहू, सव्वत्थोवा पढमसमयएगिदिया अपढमसमयएगिंदिया अणंतगुणा सेसाणं सव्वत्थोवा पढमसमयिगा अपढम० असंखेनगुणा॥ एतेसि णं भंते! पढमसमयएगिदियाणं अपढमसमयएगिदियाणं जाव अपढमसमयपंचिंदियाण य कयरे २१, सव्वत्थोवा पढमसमयपंचेंदिया पढमसमयचरिंदिया विसेसाहिया पढमसमयतेइंदिया विसेसाहिया एवं हेहामुहा जाव पढमसमयएगिदिया विसेसाहिया अपढमसमयपंचेंदिया असंखेजगुणा अपढमसमयचरिंदिया विसेसाहिया जाव
बहुत्वानि
उद्देशः २
सू०२४३
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॥४३३॥
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