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श्रीजम्बूद्वीपशान्तिचन्द्री - या वृत्तिः
॥ ९२ ॥
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परमाणू दुचिहे पण्णत्ते, तंजहा - सुहुमे अ वावहारिए अ, अणंताणं सुहुमपरमाणुपुग्गलाणं समुदयसमिइसमागमेणं वावहारि परमाणू णिष्फज्जह तत्थ णो सत्थं कमइ - 'सत्येण सुतिक्खेणवि छेत्तुं मित्तुं च जं किर ण सक्का । तं परमाणु सिद्धा वयंति आई. पमाणाणं ॥१॥ वावहारिअपरमाणूणं समुदयसमिइसमागमेणं सा एगा उस्सण्हसहिआइ वा सव्हिसहिआइ वा उद्धरेणूइ वा तसरेणूइ वा रहरेणूइ वा वालग्गेइ वा लिक्खाइ वा जूआइ वा जनमज्झे वा उस्सेहंगुले इ वा, अट्ठ उस्सण्डसण्डिआओ सा एगा सण्हसण्डिया अट्ठ सण्ड्सण्हिआओ सा एगा उद्धरेणू अट्ठ उद्धरेन सा एगा तसरेणू अट्ठ तसरेणूओ सा एगा रहरेणू अट्ठ रहरेणूओ से एगे देवकुरूत्तरकुराण मणुस्साणं वालो अट्ठ देवकुरूत्तरकुराण मनुस्साण वाळग्गा से एगे हरिवासरम्भयवासाण मणुस्साणं वालग्गे एवं हेमवयहेरण्णवयाण मणुस्साणं पुवविदेह अवर विदेहाणं मणुस्साण वालग्गा सा एगा लिक्खा अट्ठ लिक्खाओ सा एगा जूआ अट्ठ जुआओ से एगे जवमज्झे अट्ठ जवमन्झा से एगे अंगुले एतेणं अंगुलप्पमाणेणं छ अंगुलाई पाओ बारस अंगुलाइ विहृत्थी चडवीसं अंगुलाईरयणी अड्डयालीसं अंगुलाई कुच्छी छण्णउइ अंगुलाई से एगे अक्खेइ वा दंडेइ वा धणूइ वा जुगेह वा मुसलेइ वा णालिओ व एतेणं धणुप्पमाणेणं दो धणुसहस्साई गाउअं चत्तारि गाउआई जोअणं, एएणं जोअणप्पमाणेणं जे पल्ले जोअणं आयांमविक्खंभेणं जोयणं उड्डूं उच्चत्तेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं, से णं पल्ले एगाहिअबेहियतेहिअ उक्कोसेणं सत्तर तपरूढाणं संमट्ठे सणिचिए भरिए वालग्गकोडीणं । ते णं वालग्गा णो कुत्थेज्जा णो परिविद्धंसेज्जा, णो अग्गी रहेजा, णो वाए हरेज्जा, णो पूइत्ताए हबमागच्छेज्जा, तओ णं वाससए २ एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे णीरए पिल्लेवें णिट्ठिए भवइ से तं पलिओ में । एएसिं पलाणं कोडाकोडी हवेज्ज दसगुणिआ । तं सागरोवमस्स उ एगस्स भवे परीमाणं ॥ १ ॥ एएणं सागरोवमप्पमाणेणं चत्तारि
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वक्षस्कारे पल्योपम
प्ररूपणा
सू. १९
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