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________________ सिरिसंतिजिणिंदेहि तित्थटुवणा सिरिसंति- ता अन्न पि हु होही तत्तं" इय भाविऊण पुच्छेइ । भयवं पि भणइ 'धूवे इ व, त्ति तत्तं इमं तइयं ॥२०॥७२६१॥ नाहचरिए जा परिभावइ त पि हु ता "तिरिभावेण होइ वोच्छेओ । तिरियत्तेणुप्पन्नो जीवो सो चेव नायव्वो ॥२१॥७२६२॥ एवं अन्नन्नेसु जाईभेएसु वट्टए जीवो । उप्पजइ बोच्छिन्नइ न य नासो अत्थि जीवस्स" ॥२२॥७२६३॥ इय माउगपयतियग दुवालसंग रएइ लभृण । खणमेत्तेणं एसो, एवं सेसा वि पणतीसं ॥२३॥७२६४॥ विरइत्तु 'बारसंग' आगच्छइ पुण जिणिंदपासम्मि । विरइय दुवालसंग तं नाउं उटुए भयवं ॥२४॥७२६५॥ एत्थंतरम्मि इंदो सोगंधियरयणचुण्णपरिपुण्णं । थालं गहित्तु पुरओ जिणवरनाहस्स संघाइ ॥२५॥७२६६॥ तो गिण्हिऊण वासे समत्थपरिसाए देइ जिणनाहो । तिपयाहिणेइ चक्काउहो वि तत्तो समोसरणं ॥२६॥७२६७।। खिवइ जिणो वि हु वासे असेसपरिसाए संजुओ तस्स । इय गणहरपयऽवणा विहिया चक्काउहमुणिस्स ॥२७॥७२६८॥ हु एवं पणतीसाए वि गणहरवणं करेइ संतिजिणो । एवं एए जाया छत्तीस गणहरा तस्स ॥२८॥७२६९॥ ॐ अन्नेहिं वि पुरिसेहिं एत्थ अणेगेहिं सव्वविरइवयं । गहियं जिणस्स पासे एवं साहू समुप्पन्ना ॥२९॥७२७०॥ अज्जाओ वि एवं चिय जायाओ गहियपवरसामन्ना । जे य वयम्मि असत्ता गिहिणो ते सावगा जाया ॥३०॥७२७१॥ एवं च सावियाओ गिहत्थधम्मुजयाओ जायाओ । इमिणा कमेण एसो उप्पन्नो चउविहो संघो ॥३१॥७२७२॥ ८७७ ॐ१. होहिइ तत्तं जे० ।। २. दृश्यतां चतुर्थ परिशिष्टम् ।। ३. साधू का० ।। ४. याओ पवरगहियसाम पा० ।।
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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