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________________ वणिणो गंगदत्तस्स अक्खाणयं सिरिसंति- * परिचिंतियं च तेणं "माहप्पं सव्वमेव धम्मस्स । एयं ज मह लाभो जिणभवणाईसु ता देमि" ॥१९॥६७७०॥ परिचितिय च नाहचरिए * इय चिंतिऊण सव्वेसु तेण जिणमंदिरेसु पूयाओ । विहियाओ तहा दाणं दिन्नं सब्बस्स संघस्स ॥२०॥६७७१॥ एवं च तस्स धम्मम्मि उज्जम पइदिणं कुणंतस्स । जा जाइ कोइ कालो ता पत्तो चरिमसमओ त्ति ॥२१॥६७७२॥ तत्तो य तेण विहिया सव्वा सलेहणा जहाभिहिया । पच्छा अणसणविहिणा मरिऊणं सुरवरो जाओ ॥२२॥६७७३॥ चविऊण तओ कमसो पहाणकुलसंभवो भवेऊण । पत्तो णिव्वाणपुरे जत्थ अणतं महासोक्खं" ॥२३॥६७७४॥ देसावगासियमिणं दिटुंतसमन्नियं तुहऽक्खायं । पोसहवयं इयाणिं कहेमि संखेवओ किंचि ॥१॥६७७५॥ अटुमि-चउद्दसीमाइएसु पव्वेसु कीरए जमिह । पोसेइ पव्वकिच्चं सो होइ हु पोसहो चउहा ॥२॥६७७६॥ आहारपोसहो होइ तत्थ सव्वम्मि तह य देसम्मि । सव्वम्मि उ नायव्यो चउबिहाहारउववासो ॥३॥६७७७॥ देसम्म तिहाहारे उववासो अंबिलाइयं तह य । सव्यं पि हु विन्नेयं पच्चक्खाणं जमिह किंचि ॥४॥६७७८॥ बीओ पोसहभेओ सरीरसक्कारसंभवो होइ । सव्वे देसे य तहा एसो विहु होइ नायव्यो ॥५॥६७७९॥ सव्वम्मि सबदेहस्स जमिह सक्कारवञ्जणं होइ । देसम्मि पुणो असिणाणकरणमाई उ विन्नेओ ॥६॥६७८०॥ तइओ य बंभचेरस्स पोसहो सो वि सव्व-देसेसु । सव्वम्मि जमिह इत्थीकरफासाई विवज्जेइ ॥७॥६७८१॥ देसम्मि पुणो इत्थीसंभोग वजिउं कुणइ सेसं । अव्वावारे पोसहचउत्थयं सव्व-देसेसु ॥८॥६७८२॥ * सबम्मि सव्ववावारवज्जणं, देसओ उ एगस्स । पोसहवयमिहमेत्थ वि अइयारा पंचिमे होति ॥९॥६७८३॥ ८०४
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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