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________________ सिरिसंतिनाहचरिए 43434343434 सामाइयम्मि उ कए समणसरिच्छो उ सावओ होइ । तम्हा णिज्जरमूलं करेह सामाइयं बहुसो ॥३॥६७२२॥ किंतु इह अइयारा पंच इमे होंति वज्रणिजा उ । मण - वइ-कायाण इहं दुप्पणिहाणं न कायव्यं ॥ ४ ॥६७२३ ॥ सामइ सइअकरणं तहेव अणवद्वियस्स करणं तु । अइयाररहियमेयं, अन्नह सामाइयं न भवे ||५|| ६७२४ ॥ गिहित्ता सामइयं गिवावारे उ चिंतए जो उ। अट्टवसट्टस्स तओ निरत्थयं होइ सामइयं || ६ ||६७२५ ॥ एम्म उ पुण सुद्धे कंते निच्छिएण चित्तेण । होइ सुहं जीवाणं जह पत्तं सीहसडूढेण ॥७॥६७२६ ॥ आबद्धकरयलपुडा परिसा विन्नवइ 'सामि ! को एसो । जो तुम्हेहिं भणिओ सुसावओ सीहनामो ?' त्ति ॥८॥६७२७॥ भणइ सिरिसंतिनाहो “भरहे रमणिजपट्टणे रम्मे । अस्थि निवो गुणकलिओ सूरो हेमंगओ नाम ॥१॥६७२८॥ हेमसिरीनामेण भज्जा तस्सऽत्थि पवरसुहभावा । अन्नो वि तत्थ निवसइ सडूढो जिणदेवनामो त्ति ||२||६७२९ ॥ जिणदासीनामेण भज्जा तस्सऽत्थि सयलजिणभत्ता । सा अन्नया य पसवइ वरपुत्तं सीहयं नाम ||३||६७३०॥ बालयकाले वि इमो मुणीण पासम्मि सुणइ वरधम्मं । भावइ य तेण चित्तं, गेण्हइ य वयाई सब्वाई || ४ ||६७३१॥ पालइ य निरइयारं भावेण इमो सया पवडूढतो । एवं बच्चइ कालो सामाइयमाइनिरयस्स ॥५॥६७३२॥ नाऊण जोव्वणत्थं परिणावइ सोहणं तओ कन्नं । नामेणं पउमसिरिं रूवाइसमन्नियं जणओ ||६||६७३३ ॥ १. किजते का० ॥ सीहसावयस्स अक्खाणयं ८००
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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