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________________ सिरिसंतिनाहचरिए एत्थ य पुण अइयारा पंचैव य मुणह थूलमेहुन्ने । इत्तिरियपरिग्गहियागमणं पढमो अइयारो ||४९ ॥ ५८४४ ॥ अपरिग्गहियागमणं बीओ, तइओ अणंगकीडा य । परवीवाहे करणं, कामे तिव्बाभिलासो य ॥५०॥। ५८४५ ।। एयं तु वयं सव्वाण दुद्धरं एत्थ वन्नियं समए । जे पुण पालिंति इमं, ते धन्ना जीवलोगमि ॥ ५१ ॥ ५८४६ ॥ जे जे पुण इमम्मि वियम्मि गंजिया अइपयंडसुहडा वि । काउरिसाण वि मज्झे, ते काउरिसा मुणेयव्या ॥ ५२ ॥ ५८४७॥ पुण भीरुनरा वि हु, एयम्मि वयम्मि निम्मला होंति । ते सुहडाण वि सुहडा वण्णिजंती बुहजणेण ॥ ५३ ॥ ५८४८ ॥ ५ परदारपसत्ताणं भवंति दुक्खाई णेगरूवाई । जह सो करालपिंगो पुरोहिओ पाविओ दुक्खं ॥ ५४॥ ५८४९ ॥ एयं णिसामिजणं जिणिदमुह कुहरनिग्गयं वयणं । अह चक्काउहराया पुच्छइ विहियंजली सीसे || ५५ ॥ ५८५०॥ 'को सो करालपिंगो पुरोहिओ ताय ! वण्णिओ तुमए ? । केरिसयाई च पुणो दुक्खाई पाविओ ? कहह' ।। ५६ ।। ५८५१ ॥ 'जइ तुज्झ कोउयमिणं सुणेहि एवं पि तो कहिजंतं' । “नामेण वसंतेपुरं सुपसिद्धं अत्थि इह नयरं ॥ १ ॥ ५८५२ ॥ तं परिपालइ राया नलपुत्तो नाम दसदिसिपयासो । तस्स य करालपिंगो नामेण पुरोहिओ अत्थि ||२|| ५८५३॥ अच्चतं बल्लहओ नरवइणो तस्स तम्मि कालम्मि । एत्तो य तम्मि नयरे निवसइ इब्भस्सुओ एक्को ॥ ३ ॥ ५८५४ ।। - मत्तीभावमुवगओ अञ्चत्थं सो करालपिंगम्मि । नामेण पूसदेवो पञ्चक्खो सुरकुमारो व्व ॥ ४ ॥ ५८५५ ॥ १ इत्य का० ॥ २. तउरं का० ॥ करालपिंगस्स पुरोहियस्स अक्खाणयं ६९९
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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