________________
सिरिसंतिनाहचरिए
बारसमं . भवग्गहणं
जय जय तिहुयणदीवयदाइए! जय जय जयह असेसह माइए!। जय जय तिहुयणसूरविराइए! जय जय जय अच्छरियपसाइए!॥३६॥४६३६॥ म बीहसि परमेसरि ! सामिणि ! अम्हि दिसाकुमारि गयगामिणि!। जम्मकम्मु जिणवरह करेसहुँ, अप्पउं सिवपुरिपंथि धरेसहुं ॥३७॥४६३७॥ संवट्टउ विउरुव्ववि वाऊ सोहहि जम्मणभवणविहाऊ ।
पुणु बहुकरिय करेवि करेहिं गायहिं मंगलमहरसरहिं ॥३८॥४६३८॥ अवि य“तिहुयणनाहह कुच्छिधरि ! जय जय सामिणि ! देवि ! । अम्हेहिं तुह पयपंकयई वदिय सिरई नमेवि ॥३९॥४६३९॥ जय जय अइरादेवि ! तुहं संतिजिणिंदह माए ! । पणमहुं तुह पयपंकयई सिरितिहुयणविक्खाए ! ॥४०॥४६४०॥ जय जय तिहुयणदीवु तई दंसियसयलपयत्थु । दितिय सामिणि ! तोडियउ भवियह मोहु समत्थु ॥४१॥४६४१॥ जय जय जगगिहखंभु जिणु दितिय सामिणि ! लोइ । संजोइय भवभीयजण सयलसुहहं संजोइ ॥४२॥४६४२॥ सयलदुरियदंदोलिदवजालावलिजलवाहु । दितिय तिहुयणमाइ ! पई फेडिउ अंगह दाहु ॥४३॥४६४३॥ जय जय जयपडिबोहयरु दितिय पुन्निमचंदु । माय ! महासइ देवि ! तइं किउ भवियह आणंदु ॥४४॥४६४४॥
५३९
१. पा० विना पणमहं जे० का० । पणमह त्रु० ॥ २. कयं सिर का०॥