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सूरस्स रायस्स कहाणयं
सिरिसंति- जम्हा हु होइ गरुओ उवक्खओ ता विहेहि संतोस' । भणइ इमो 'देव ! महं संतोसो होइ एवकए' ॥४९९॥४३९०॥ नाहचरिए तस्साऽधिई मुणेउं राया जंपेइ 'जइ इमं एयं । कायव्वमवस्स चिय तो एमि अप्पपरिवारो' ॥५००॥४३९१॥
भणइ इमो वि हु 'सामिय! असेससामंत-मंतिपरियरिओ। आगच्छाहि, न अन्नह होइ महं चित्तसंतोसो'॥५०१॥४३९२॥ तदसंतोसभएणं महया कडेण मन्नइ नरिंदो । 'देवपसाउ' त्ति इमो भणिऊणं जाइ नियगेहे ॥५०२॥४३९३॥ उवरिमयभूमियाए पियाहिं सह रमइ सारिजूएणं । रण्णा वि हु पडिहारो आइट्ठो 'जोवह गिहं से ॥५०३॥४३९४॥ कित्तियमेत्तो पागो? बच्चामि जेण तदणुसारेण । 'आएसो' त्ति भणित्ता पडिहारो जाइ तग्गेहे ॥५०४॥४३९५॥
पेच्छइन किंचि पाग, न यसामग्गिपि, पुच्छइतओ सो। 'अंबे! कत्थ कुमारो?' भणइइमा 'रमइसारीहिं॥५०५॥४३९६॥ * तो आगंतुं साहइ पडिहारो 'देव ! तस्स गेहम्मि। न य दीसइ धूमो विहु, संपइ देवो पमाणं' ति ॥५०६॥४३९७॥
तं सोउं नरनाहो निरिक्खए मंतिणो मुहं सहसा । जंपइ इमो वि 'वयणं न होइ तस्सऽन्नहा देव ! ॥५०७॥४३९८॥ पुण बीयं पडिहारं पेसइ 'जोएहि अण्णगेहम्मि' । सो वि हु गवेसिऊणं निवस्स तं चेव साहेइ ॥५०८॥४३९९॥ राया वि हु चित्तम्मी चमक्किओ भणइ 'सव्वनयरीए । जोएउं निक्खुत्तं साहह भो ! मा चिरावेह' ॥५०९॥४४००॥ ते वि हु तहेव काउं साहेति निवस्स जाव तं चेव । पत्तो ताव कुमारो जंपइ 'पहु ! संपयं एह' ॥५१०॥४४०१॥
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१. जोयह जे० का० ।। २. जोएह पा० ।।