SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 554
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सिरिसंतिनाहचरिए 4403434340 परिणीयाओ य तओ कन्नाओ वच्छरायकुमरेणं । भुंजइ य तत्थ भोए अचंतं सुहरसाणुगओ ॥ ४४१॥४३३२॥ अह अण्णा कयाई रयणीए पच्छिमम्मि जामम्मि । सुत्तविउद्धो चिंतइ " कह पेच्छ पइण्णमारुहिउं ॥ ४४२ ॥ ४३३३ ॥ विसएहिं मोहियमणो एत्तियमेत्तं डिओ अहं कालं । ता संपइ वच्चामिं पूरेमि नियं अह पइन्नं" ॥४४३ ॥ ४३३४ ॥ चिंतिऊण वृत्ताओ ताओ 'पिए ! एरिसं इमं कजं । ता मोयावह अंब बच्चामो जेण तत्थऽम्हे' ॥४४४॥४३३५॥ ताहिं विसा विन्नत्ता 'अंबे ! वीसजि अम्ह भत्तारं । जेणेस गुरुपइन्नं काऊणं एत्थ संपत्तो' ॥४४५ ॥ ४३३६ ॥ तो सा ताहिं समेयं समग्गसामग्गिसंजुयं काउं । वीसज्जइ तं कुमरं सोयभरावूरिया हियए ||४४६ ॥ ४३३७ ॥ कुमरो वि तीए पाएसु लग्गिउं अह घणं खमावेइ । 'माए ! खमाहि मज्झं जं तइया तुह कया पीडा ॥ ४४७॥ ४३३८ ॥ ती विखमसु संपइ मह घरिणीभावमुवगयाए दढं' । देवी वी आह 'जीवसु पभूयकालं तुमं पुत्त ! ||४४८ ॥ ४३३९॥ जेण तए पुरिसवहं कुणमाणी रक्खिया अहं घोरं । सा वि हु मह दुहिय च्चिय, जा तुह घरिणीपयं पत्ता ॥ ४४९॥४३४०॥ किं च तुमं एयासिं कुलघररहियाण भद्दओ होज' । ताओ वि हु पाएसुं तीसे लग्गित्तु रुण्णाओ ||४५० ॥४३४१ ॥ जंपतिय 'अंब ! तुमं खमेज सव्वं पि बालअवराहं' । सा वि पयंपइ 'वच्छे! सासुइयाओ हवेज्जाह' ॥४५१॥४३४२॥ एवं खमाविऊणं पल्लं कम्मि समारुहेऊण । जंपंति 'जाहि पल्लंक ! संपयं दत्तयगिहम्मि' ||४५२॥४३४३ ॥ १. रापूरिया जे० का० ॥ १० सूरस्स रायस्स कहाण ५०४
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy