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________________ सिरिसंतिनाहचरिए सूरस्स रायस्स कहाणयं वेगवइ ! करहि सजं तुम पडहयं मद्दलं, भो ! य हे पवणिए ! मडहयं, रासयं गाय गंधविए ! सोहणं, जेण नच्चामु अन्नाउ मणमोहणं, एत्थ एगतदेसम्मि अइरम्मए अज्ज पूरेमु इच्छं सही सम्मए', एव कीलंति ताओ तहिं सुडिया हास-तोसेहिं अच्चन्भुयं पुटिया, जा परिस्संतगत्ताओ अइणिभरं मुक्वत्थाउ तालिंति वायब्भरं, इय विविहपयारिहिं, कीलासारिहिं, ताहिं विसेसि तहिं रमिउ, वीसमिवि खणंतरु, जति निरंतरु, पुणु वि विमाणि समारुहिउ ॥१२३॥४०१४॥ जत्थाऽऽगयं गयाओ कुमरो वि हु कुंचियाए छिड्डेण । सच्चवइ तयं सव्वं पेच्छइ अह कंचुयं एग ॥१२४॥४०१५॥ बहुभंगभत्तिचित्तं नाणाविहरयणविहियपजंतं । तं दटुणं कुमरो भावइ “वीसारिओ एसो ॥१२५॥४०१६॥ तो गेण्हामि एवं" भावेऊणं विहाडइ कवाडे । गिर्णिहत्तु कंचुर्य झत्ति पुण वि पइसरइ मज्झम्मि ॥१२६॥४०१७॥ अह ताणं जंतीणं पभावई सुमरिऊण तो भणइ । 'भद्दे ! अइमहमुल्लो वीसरिओ कंचुओ तत्थ ॥१२७॥४०१८॥ तो ताहि इमा भणिया 'गच्छ तुम गिण्हिऊण वेगवई । आणेहि कंचुयं तं' इय भणिया वच्चए सिग्धं ॥१२८॥४०१९॥ जाव न पेच्छइ गणम्मि तम्मेि त कंचुयं तओ एसा । जोयइ सव्वदिसाओ तहवि हु न य पेच्छए कहवि ॥१२९॥४०२०॥ १. छेडेण पा० ।। २. गेण्हामी का० ।। ४७७
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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