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________________ सिरिसंतिनाहचरिए ता कह नित्थरियो जम्मो हा देव्व ! तुह सरूवम्मि । एयारिसम्मि विसमे अचंतमचिंतरूवम्मि ?” ॥५४॥३९४५॥ इय चिंतंती देवी भणिया विमलाए 'जामि ! बच्चामि । अब्भंतरे पुरीए उवस्सयं किंचि गविसामि ॥ ५५ ॥ ३९४६॥ जंपेइ धारिणी तो ‘वच्चसु तं भगिणि! कुणसु ऐयं' ति । इय भणिया नयरीए पविसइ अभितरे विमला ॥५६॥३९४७॥ हरिणि व्ब जूहभट्ठा पविसइ जा सव्वओ पलोयंती । ता पेच्छइ गिहमेगं उत्तुंगं धयवडाइणं ॥ ५७॥३९४८॥ तस्स य पंगणदेसे मज्झत्थवयं निएइ अह सेट्ठि । नामेण सोमदत्तं परिसक्कणियं करेमाणं ॥ ५८॥३९४९ ॥ तं दट्टुणं एसा पविसइ गेहम्मि जाइ तप्पासे । भणइ 'महायस ! अम्हं उवस्सयं किंचि दरिसेहि ॥५९॥३९५०॥ जेणं तु निस्साए सुहेण चिट्ठामु एत्थ नयरीए' । सो भणइ 'केत्तियं तुह कुडुंबयं कहसु मे भद्दे !' ॥६०॥३९५१॥ उल्लवइ तओ विमला ‘सुंदर ! अम्हे दुवेऽत्थ भगिणीओ । तइओ मह भगिणिसुओ कुडुंबयं एत्तियं चेव' ॥ ६१ ॥ ३९५२॥ जंपेइ तओ सेट्ठी 'ओवरियाए इमाए चिट्ठेह । ववहारो जेण इमो पर जंपह भाडयं किंचि' ॥६२॥३९५३ ॥ विमला वि भणइ 'सुंदर! अम्हाणं नऽत्थि भाडयं किंचि । किंतु दुवे वि जणीओ कम्मं काहामु तुह गेहे ॥ ६३ ॥ ३९५४ ॥ एयाए वित्तीए जइ भोयण भाडयाइं मन्नेसि । आगच्छामो सुंदर ! ता एत्थं तुज्झ गेहम्मि' ॥६४॥ ३९५५ ॥ ' एवं ति होउ' वणिएण मन्निए इंति तिन्नि वि जणाइं । चिटुंति पुव्यवण्णियनीईए कम्मनिरयाओ ॥ ६५ ॥ ३९५६॥ १. एवं जे० का० ।। २ अत्यंतरे का० ॥। ३. उबरि° जे० ॥ +5+5+5+5+50 सूरस्स रायस्स कहाणय ४७१
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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