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________________ सिरिसंतिनाहचरिए दसमेक्कारसभवग्गहणाई संवाहिय अइमत्तमहागय, संवाहिय चंचलतरवरहय । संवाहिय सारयरसुरहवर, संवाहिय वरभड आउहधर ॥२४॥३४९५॥ संवाहिय जे सूरनरीसर, संवाहिय नाणाविह किंकर । संवाहिय वाहणइं असेसई, संवाहिय बहु पयइ विसेसई ॥२५॥३४९६॥ संवाहिय णाडयई, पहाणई संवाहिय आउज्जविहाणई । संवाहिय नाणाविह दब्बई, संवाहिय अन्नाई वि सव्वई ॥२६॥३४९७॥ इय बहुविहसामग्गिसमन्निय निग्गयकुमरजणोहिहिं वण्णिय । भट्ट-चट्ट- बंदिणिहिं पढंतिहिं चल्लिय बहुतूरेहिं रसंतिहिं ॥२७॥३४९८॥ नरेंदो वि मंति-सामंताइयाणं भलाविऊण कुमारे वलिऊण पविट्ठो नयरीए । कुमारा वि महाकडयसामग्गीए अणवरयपयाणएहिं वचंता पत्ता सुरिंददत्तनरिंदविसयसंधीए । आवासिया य महासरवरासन्ने । एत्तो य तेण सुरिंददत्तनरेंदेण नाऊण चारपुरिसेहिंतो कुमारागमणं पेसिओ निययदूओ । भणियं च तत्थ गंतूण तेण, अवि य'भो ! भो कुमार ! निसुणह मह पहुणो निययवयणआणत्ती। परिहरिउं मह देस बच्चह अन्नेण मग्गेण ॥२८॥३४९९॥ तं सोउं मेहरहो कुमरो जंपेइ एरिसं वयणं । 'भो दूय ! अम्ह मग्गो तुह पहुदेसस्स मज्झेण ॥२९॥३५००॥ एसो चिय अम्हाणं मग्गो भो दूय ! उज्जुओ जेण । तेणेएणं अम्हे वच्चिस्सामो सुनीईए' ॥३०॥३५०१॥ तं वयणं गंतूणं दूएण निवेइयं नरिंदस्स । सो वि हु रुसिऊण पुणो इय भणिउं पेसए दूयं ॥३१॥३५०२॥ १. पयई जे० ।। २. "बंदिणेहिं पढतेहिं जे० ।। ३. नरेंद° जे० ।। ४. सुरिंद त्रु०॥ ४२०
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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