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________________ चउण्हं सुण्हाणं बुद्धिपरिक्खणं सिरिसंति- तम्हा दंसेमि फलं एईए अवण्णकरणपच्चइयं । मह गेहम्मि एसा सचं चिय उज्झिया होउ ॥४८॥३२७७॥ नाहचरिए कयवर-छाणाईयं जमुज्झियव्यं महं गिहे किंचि । तं सव्वं एईए छड्डेयव्वं न संदेहो ॥४९॥३२७८॥ अन्नम्मि उ गिहमज्झे अहियारो नत्थि कोवि एईए' । इय भणिऊण विसज्जइ अहिगारे तम्मि तं सुण्हं ॥५०॥३२७९॥ हक्कारिऊण बीयं पि पुच्छए सो धणो तह चेव । सा वि तह च्चिय सव्वं साहइ सव्वं पि नियचरियं ॥५१॥३२८०॥ सोऊण तयं सेट्ठी जंपइ 'एसा वि भोगवइसुण्हा । अभंतरिया पेसणकारी मह होउ गेहम्मि ॥५२॥३२८१॥ खंडण-पीसण-रंधण-पयण-विरोलणपभीइ सव्वं पि । एयाए कायव्यं' इय भणिय विसज्जए तंपि ॥५३॥३२८२॥ एवं चिय तइयं पि हु रक्खियनाम पि पुच्छई, सा वि । साहइ जहट्ठियं चिय, तत्तो तुटो भणइ सेट्ठी ॥५४॥३२८३॥ भंडागारिणि एसा होउ सया मज्झ भंडयारम्मि । मणि-मोत्तिय-वत्थ-सुवण्णमाइ आयत्तमेईए' ॥५५॥३२८४॥ रोहिणिनामं पि तओ हक्कारित्ता चउत्थियं सुण्डं । भणइ 'तुम पि हु पुत्ते ! अप्पसु ते पंच सालिकणे' ॥५६॥३२८५॥ तीए वि हु संलत्तं 'बहुसगडी-सागडं महं देहि । वसभ-महिसाइया वि य जेणं अप्पेमि ते साली' ॥५७॥३२८६॥ भणिया य सेटुिणा सा 'पुत्ति ! कहं सालिअक्खए पंच । बहुसगडि-सागडेणं निजाइजंति ? मे कहसु' ॥५८॥३२८७॥ सा वि तओ आईओ कहइ असेस पि जं जहाविहियं । सोऊण तयं सेट्ठी ऊससिओ नीमकुसुमं व ॥५९॥३२८८॥ *१. अहिगारो को वि नत्थि एईए का० ।। २. "गारिण एसा त्रु० ।। ३. निज्झाइ त्रु० ।। ४. नीवकु का० ।। ॥ ३९०
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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