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________________ सिरिसंतिनाहचरिए फुल्लबडुयस्स कहाणयं "एक्कसुकएण तूसह जाब सयं दुक्तियाण वोलेइ । ससरीरे वि न सक्का दियहे दियहे पियं काउं" ॥६७॥३१४९॥ तेण पुण मह सया विहु सुकयाण संयाणि चेव विहियाई। न उणो कयावि दुकयं हा! कह कजं विणा चुक्को' ॥६८॥३१५०॥ देवी वि भणइ 'सामिय ! अइरहसकयाण एत्थ कजाण । सल्लं पिव आजम्मं होइ विवागो हिययदाही ॥६९॥३१५१॥ धिद्धी अहो ! अकजं मह दोसेणं इमो महाभागो । रयणं पिव हत्थाओ विद्दविओ नाह ! नणु तुमए ॥७०॥३१५२॥ हा! हा! मुद्धडबालय ! अइसरलसहाव ! सीलपरिकलिय ! । अंब! ति उल्लवंतो पुणो वितं कत्थ दटुब्बो' ॥७१॥३१५३॥ सोउं देविपलावं पच्छुत्तावाहओ नरिंदो वि । आजम्मं पिव वहिही हिययनिहित्तं तयं सल्लं ॥७२॥३१५४॥ ता देव ! तहऽन्नेण वि अवियारियकारिणा न होयव्वं । जम्हा हु सुब्बइ इमा गाहा लोयम्मि सुपसिद्धा ॥७३॥३१५५॥ "कुण्णाय कुस्सुयं वा कुद्दिटुं कुप्परिक्खियं चेव । पुरिसेण न कायव्वं जह विहियं सत्तुदमणेण" ॥७४॥३१५६॥ एत्थंतरम्मि तइओ वजइ सहस त्ति जामिणीजामो । तं सोउं पाहरिओ निक्खंतो वासभवणाओ ॥७५॥३१५७॥ पविसरइ कित्तिराओ राया वि हु चिंतए तओ एवं । “एसो वि तारिस चिय जंपित्ता निग्गओ कह णु ॥७६॥३१५८॥ किमणेण? होउ एयं पिताव जंपेमि कित्तिरायं ति"।इय चिंतिऊण भणिओर! रे! को एत्थ पाहरिओ?'७७॥३१५९॥ ३७२ १. सयाई का० ॥ २. धीधी पा० विना ।। ३. नरवरिंदो त्रु० । नरवरेंदो का० ॥ ४. एवं पा० ॥
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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