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________________ सिरिसंतिनाहचरिए अमयंबनिवस्स कहाणयं अम्हे वि देव ! एयस्स भाउणो वच्छरायमाईया । पत्ता तुह सेवत्थं, ता एसो देव ! परमत्थो" ॥२३॥२८८६॥ सोऊण इमं राया जंपइ 'तुभेहिं सोहणं विहियं । ज मह पासे पत्ता, ता चिटुह नियघरे ब्व जहा' ॥२४॥२८८७॥ • इय वोत्तूणं राया पडिहार आणवेइ रे ! जाहि । दंसेहि पवरविडहरमेयाणं अमुगाणम्मि ॥२५॥२८८८॥ भोयणमाई सव्वं सामग्गिं तत्थ चेव पेसेहि' । पडिहारो वि हु सव्वं निवआएसं तह करेइ ॥२६॥२८८९॥ एवं दिवसे दिवसे निवसेवाए समुञ्जमंताणं । जा जति के वि दियहा ता राया रजिओ अहियं ॥२७॥२८९०॥ चिंतेइ य "एयाणं नऽत्थि समो वि हु कओ पुणो अहिओ। मह सेवयाण मज्झे ता तणुरक्खे ज्वेमि इमे" ॥२८॥२९९१॥ इय चिंतिऊण रन्ना भणिया ते 'होह मज्झ तणुरक्खा । चत्तारि वि रयणीए चउसु वि पहरेसु पइदियह' ॥२९॥२८९२॥ तो भणइ देवराओ 'तुम्हाऽऽएसो पमाणमम्हाणं' । अह रजिओ नरेंदो देइ बहुं वत्थऽलंकार ॥३०॥२८९३॥ इय गोरवेण दीसंतयाण जा जति वासरा के वि । ता गिम्हरिऊ पत्तो दाहयरो सव्वलोगाण ॥३१॥२८९४॥ अवि य ___ जत्थ वायति लूयाओ अग्गीसमा, बल्लहा जत्थ लोयाण नीरासमा । पिज्जए पाणियं बारवार जहिं, सुप्पए जत्थ लोएहिं गेहब्बहिं ॥३२॥२८९५॥ ३४१ १. इइ का० ॥
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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