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सिरिसंतिनाहचरिए
नरसिंघकुमरस्स कहाणयं
परिभमइ चोरगविसण करंतु, परिसंकाण सयल वि णियंतु, न य नियइ कह वि पउ तक्करस्स, ता जाव विणिग्गउ बहि पुरस्स, एत्वंतरि रयणी खयह जाइ, बीहती रायह चोरि नाइ, उग्गमइ सूरु पह विउल देंतु, नरवइहि पयावु व विप्फुरंतु, परिभमिउ नयरिबाहिरपएसु, न वि लटु चोरु पर किउ किलेसु, अवसाणि दिणह उव्वाउ राउ, जिउ रुक्खहेट्ठि रयभरियकाउ, अवलोयइ जा दिसिवलयचक्कु, परिवायगु पेच्छइ ताव एक्कु, कासाइयवत्थउ, डंडविहत्थउ, छक्कन्नउवाणह गूढपउ, उब्बद्धयपिंडिउ, अइबहु हिंडिउ, आवंतु नरेंदिं चित्ति किउ ॥१४॥२६२७॥ जावाऽऽसंकइ बहु देक्खेविणु, ता सो पत्तु तत्थ खेवेंविणु, अप्पाणउं गूहतई राएं, किउ पणिवाउ झत्ति अणुराएं,
१. न वि नि° पा० विना ।। २. दितु का त्रु० ।। ३. दियह त्रु० ।। ४. छन्नक्कउ त्रु० ।। ५. खेवि जे० त्रु० ।। ६. राई पा० विना ।। ७. "राई पा० विना ।।