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________________ सिरिसंतिनाहचरिए नरसिंघकुमरस्स कहाणयं जो य वररायनीईए परिवट्टए, जो महाबुद्धिमाहप्पि सुविसट्टए, जो य रूवेण मयण पि अवमन्नए, जो य गुरुआण न कयावि अवगन्नए, धारिणीनाम जसु देवि गुणवंतिया, विजियसुररूब अचंतसुपसंतिया, वरकलानियरकंतीहि संपुणिया, चंदमुत्ति व्व नं सव्वसंपुणिया, जा सुवित्ता गुणड्ढा य सुपओहरा, हारलटुि व्य ने लोयसुमणोहरा, जा य निचं पि नियनाहअणुरत्तिया, नं वरा साविया देव-गुरुभत्तिया, तसु तीए समग्गह, भोयविलग्गह, गलइ कालु सुहसंजुयह, बहुपणयनरिंदह, जह किर इंदह, निजियदुज्जयसंजुयह ॥२॥२६१५॥ अन्नया धारिणीदेवि सुहसुत्तिया, पेच्छए सुमिणयं विहिय सुपउत्तिया, संख-कुंदेंदु-दहि-खीरसमवन्नयं पेच्छए मयवइं अंकि सुनिसन्नयं, पेच्छिऊणं तयं झत्ति सा उट्ठिया, साहए भत्तुणो विणयसमुवटिया, २८२ १. "ण नेयावि अविमन्नए पा० ।। २. सुविण जे० का० ।।
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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