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सिरिसंतिनाहचरिए
सा य अयंडे चेव य जाया अचंतवेयणवंता । छुरियाए छिज्जई इव उयरं, तह बाहए सूलं ॥३६०॥३१५५॥ उत्तोलिज्ञ्जंति व लोयणाई, सीसं तड त्ति फुट्टइ य । जाओ गलग्गहो से, पीडिजइ दाहजरएण ॥३६१॥२१५६॥ सुस्सइ य वयणकमलं, तुट्टइ वाणी, करा पकंपंति । खिज्जइ पइदियहं चिय कारणविरहेण वि सरीरं ॥ ३६२ ॥ २१५७ ॥ तं दट्टु तयवत्थं तओ मए कारियाओ किरियाओ । दिन्नाई ओसहाई, बद्धाओ पहाणमूलीओ ॥३६३॥२१५८॥ "लिहियाओ रक्खाओ, कयाई उत्तारणाइं विविहाई । लिहियाई मंडलाई, दहाविओ गुग्गुलो पउरो ॥ ३६४ ॥ २१५९॥ ताडाविया ये उडिदाइएहिं ताराविया सरिसवाओ । बहुदेवयाण ओवाइयाइं, जाओ न य विसेसो || ३६५ || २१६०॥ ता किं कारणमेयं कहेह' इय जंपिए भणइ सूरी । 'पुव्वक्कयकम्माणं फलमेयं भद्द ! निसुणेहि ॥ ३६६ ॥ २१६१॥ " एत्तो तइयभवम्मिं आसि इमा भूयसालनयरम्मि । सेट्ठिस्स भूयदेवस्स भारिया कुरुमई नाम ॥१॥२१६२॥ अह अन्नया कयाई दुद्धं मज्जारियाए पीयं तु । जंपइ देवमईए बहुयाए सम्मुहं एवं ॥ २ ॥२१६३॥ 'किं साइणीहिं गहिया तुमं जओ रक्खियं न ते दुद्धं ?' । सा वि य तव्वयणेणं भीया उक्कंपिरी जाया || ३ || २१६४॥ एत्थंतरम्मि मायंगियाए दुडाए तम्मि चेव गिहे । छाणं कुणमाणीए गहिया छिद्दं लहेऊणं ॥४॥२१६५॥
तो वेणा परद्धा सहस त्ति, समाउला इमा जाया । 'किमकंडे जायमिणं ?' ति तीए अद्दन्नया सयणा ||५|| २१६६ ॥
१. विब पा० विना ॥ २. करा वि कं° जे० ॥। ३. विहि° का० ॥। ४. इ का० ॥ ५. याइ पा० ॥
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असोसिए पुव्वभववण्णणं
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