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________________ सिरिसंति- पच्छाहुत्तगामी अंबरचाई य । जो य राया सुकंतो सोमो य, परं न मयलंछणो ससको य । जो य अचलो छट्ठ-सत्तमनाहचरिए वणराइविभूसिओ सुकडओ य, परं न दुटुसत्ताहिडिओ अगओ यत्ति । अवि य * भवग्गहणाई जो देवो व्व सुरूवो, मइमाहप्पेण सुरगुरुसमाणो । परउवयारम्मि सिबी, चाएणं चक्कबट्टि व्व ॥४॥१६९४॥ तस्स य राइणो संति सव्वंतेउरप्पहाणाओ वसुंधरि-अणुधरिनामाओ दोन्नि महादेवीओ, जाओ य महाडवीओ व्य सुमयणाओ सुवाहाओ य, महाकइवाणीओ व्य सुवण्णाओ सुवियड्ढाओ य, महाणईओ ब्वै ५ सुपओहराओ सुरमणाओ य त्ति । किंचपियभाणिरीओ सुहयाओ रूबकलियाओ धम्मनिरयाओ। सुकलाओ सुनाणाओ नियपइभत्ताओ रत्ताओ॥५॥१६९५॥ * ताहिं च समं विसयसुहमणुहवंतस्स नरवइणो बच्चए कालो। एत्थंतरम्मि य सो अमियतेयजीवो दिव्यचूलाभिहाणदेवो पाणयकप्पाओ नदियावत्तविमाणाओवीसं सागरोवमाई दिव्वं भोगलच्छिमणुहविऊण चुओ समाणो समुष्पन्नो वसुंधरीए गड्भे । तम्मि प गभित्थे पेच्छइ सा चत्तारि १० महासुमिणे । ते य दटुण जंभायमाणवयणा हरिसवसविसप्पमाणहियया विबुद्धा देवी चिंत्तए-"हेत ! मए एगसमएण चेव चत्तारि महासुमिणगा दिट्ठा, ता साहेमि इमे दइयस्स," ति चिंतिऊण समुढिया सबणीयाओ, रायहसियासरि १८९ सियाए गईए गया रमणसमीये, उटुविओ राया कोमलवयणेहिं, अब्भणुन्नाया य तेण निविद्या मणिकणगर
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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