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सिरिसंतिनाहचरिए
भणिया य 'पुत्ति ! एयं सयं निरूवेहि होइ किं एसो । तुह भत्ता ?' इय भणिए उवरिमहुत्तं पलोएइ ॥ ३७८ ॥ १४१०॥ भइ य 'घडइ सरिच्छो, किंतु सरिच्छाण पूरिया पुहई । कह सो संभाविज्जइ जो पक्खित्तो जलणिहिम्मि ? ' ॥ ३७९॥१४११॥ इय भणिए भणइ इमो 'एईए देव ! होइ सो भत्ता । जो धवलहरडियाए अतक्किओ आगओ सहसा ॥ ३८० ॥ १४१२ ॥ जेण य पुट्ठा एसा कासि तुमं ? किं च पट्टणं एयं ? । जस्स इमीए कहियं महिंदयाई असेसं पि ॥३८१॥१४१३॥ जस्स य इमीए कहियं रक्खसमम्मं, समप्पियं खगं । निहओ य जैण रक्खो, जेण य वीवाहिया तत्थ ॥ ३८२॥ १४१४॥
सारिया य कूवाओ जेण रयणाइएहिं संजुत्ता । आरोविया य वहणे, खित्तो जो जलहिमज्झमि ॥ ३८३ ॥ १४१५॥ सो होइ धवो एईए देव !' सोउं इमं तओ बाला । उक्कंटइया सहसा धारा हैयनीम कुसुमं व ॥ ३८४॥१४१६॥ उक्कंठिया य एसा जलयरवाऽऽयन्नणाओ मोरि व्य । मन्ने सा वरबाला झडत्ति अन्न व्व संजाया ॥ ३८५ ॥ १४१७॥ पभणइ य 'ताय ! एसो सो चेव य णत्थि एत्थ संदेहो । कहमवि मह पुन्नेहिं जलनिहिमज्झाओ उत्तिन्नो ॥३८६ ॥ १४१८॥ ता ता ! तायभावो तुमए अज्जं पयासिओ मज्झ । विहिओ महापसाओ आइससु जमेत्थ कायव्वं ॥ ३८७|| १४१९॥ भणइ णिवो तं 'बच्छे ! देव - गुरूणं पसायजोगेणं । होसु अविहवा सुहभाइणी य तह पुण्णवंती य ॥ ३८८ ॥ १४२०॥ १. उ त्रु० ॥। २. हनिंबकु पा० ॥। ३. इत्थ का० ॥। ४. मम जे० का० ॥
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मच्छोयरकहाणय
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