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________________ सिरिसंतिनाहचरिए काविण मे जित्तं ता संपइ देहि किंचि मे दव्वं । अह ण वि तो अजेव य ण होसि तं मज्झ हत्थाओ' ॥ २२ ॥ १०५४ ॥ तं सोऊणं देवी भयभीया भणइ 'मा इमं कुणसु । ण वि अत्थि किंचि मज्झं जं दायव्यं तुहं जोग्गं ॥ २३ ॥ १०५५ ॥ भणइ इमो ‘मा भणिहिसि जह नवि कहियं ति, एस फोडेमि' । णाऊणं 'णिस्सूयं पुणो वि देवी पयंपेइ ॥२४॥१०५६॥ ‘जइ एवं तो गिण्हसु एयं गाहं सुपत्तए 'लिहियं' । तेण वि रोसेण तयं उल्लालित्ताण पक्खित्तं ॥२५॥१०५७॥ देवीए तओ वृत्तो 'मा खिव हट्टम्मि विक्किणेज्जासु । दीणारसहस्से णं लब्भिसि तं मज्झ वयणेण ' ॥ २६ ॥ १०५८ ।। ते वितुद्वेण तयं पुणो वि गहिऊण हट्टमज्झम्मि । जंपतो जाइ तहिं 'लब्भइ भो ! गाह गाह' त्ति ॥ २७॥१०५९॥ 'कै रिसिया पेच्छामो तुह गाहा, केत्तिएण मोल्लेण । लब्भइ ?' सो वि पर्यंपइ 'दिजति दीणारसह सेणं' ॥ २८ ॥ १०६०॥ तं सोऊणं वणिया जंपति 'गहिल्लओ इमो जाओ । अज बराओ जूएण छोहिओ जेणिमं लवइ' ॥२९॥१०६१ ॥ एवं हरिमाणो देवयवयणाओ जाइ एसो वि । पुव्युत्तं जंपतो संपत्तो धणयवीहीए ||३०||१०६२ ॥ विच्छिओ सो, पुणो वि तं चैव जंपियं तेणं । सेट्ठिसुओ वि हु कोड्डेण देइ जहपत्थियं मोल्लं ॥३१॥१०६३ ॥ तूण करणं जा वायइ पत्तयं, तओ तम्मि । लिहियं पेच्छइ एवं एवं गाहुल्लियं रम्मं ॥ ३२ ॥ १०६४ || १. निच्छूर्य जे० ॥ २. लिहिउं का० ॥। ३. केरिसियं जे० । केरिसयं का० ॥ ४. गाहं जे० का० ॥ ५. दीसइ का० विना ॥ ६. ° हस्सेणं का० ॥ मच्छोयरकहाणय १२९
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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