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मच्छोयरकहाणयं
सिरिसति- परिहरियपावपंको बंधवकुमुयागराण य ससंको। जो कइया वि ण बंको दुजणमणजणियआसंको॥१०॥१०४२॥ नाहचरिए जम्मे वि हु अकलंको सुहकम्माओ अजायआयंको । तस्सऽत्थि वरा भन्जा णामेणं रयणचूल त्ति ॥११॥१०४३॥
सब्बकलागमकुसला पसत्थरुवाइलक्खणोवेया । सोहग्गवरपडाया अच्छरसा चेव पच्चक्खा ॥१२॥१०४४॥
तीए य समं भोए पुवजियपुन्नकम्मसंजणिए । जा भुंजइ सो सेट्ठी तावुप्पन्नो सुओ ताण ॥१३॥१०४५॥ * कंदप्पसरिसरूवो समत्थणयरम्म अच्छरियभूओ। कयजणणि-जणयपूओ कलावलीकोइलाचूओं ॥१४॥१०४६॥ *धणओ त्ति सुविक्खाओ पभूयलोयाण जणियअणुराओ। दीणाण दिन्नचाओ विणीयबहुपरियणसहाओ॥१५॥१०४७॥
ववहरइ णिए हट्टे बहुविहवणियारएहि परियरिओ । एवं च तस्स कालो वच्चइ चिंताविरहियस्स ॥१६॥१०४८॥ एतो य तम्मि चेव य णयरे परिवसइ सिंघलो णाम । अचंतजूयवसणी दारिदेणं समभिभूओ ॥१७॥१०४९॥ खेल्लइ य तत्थ चेव य उदंडं वारवासिणीभवणे । जूयं ण य कइया वि हु जिणइ इमो कम्मदोसेणं ॥१८॥१०५०॥ अन्नम्मि दिणे लीहाए छोहिओ अंधियस्स जूयस्स । लग्गेण चोट्टएणं अच्छइ चिंताउरो अहियं ॥१९॥१०५१॥
कह कह वि तस्स दिट्ठी पडिया देवीए तीए अंगम्मि । ता रोसारुणणयणो उद्वित्ता जाइ तयभिमुहं ॥२०॥१०५२॥ * गेण्हित्ता पाहाणं रोसाइद्धो य भणइ तं देविं । 'आ ! पावे ! तुह भवणे एत्तियकालं रमंतेणं ॥२१॥१०५३॥
१. "णजणज' का० ।। २. गिण्हित्ता जे० का० ।।
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