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________________ सिरिसंतिनाहचरिए I लहिऊण य पत्थावं सुनिउणणियचरनरेहिं विज्जाहिं । कायव्यो संगामो णियकज्जपसाहणडाए ॥२१॥८६१॥ अपुण उवत्तोकयावराहो ति होहिई पावो । ता देव ! विमालिज्जउ थोवदिणे, मज्झ इय बुद्धी' ॥२२॥८६२॥ इय जंपियावसाणे पभणइ सुयसायरो महामंती । 'सोहणमिमेहिं भणियं किंतु इहं चारि णीईओ ॥२३॥८६३॥ ता सामो चिय पढमो भणिओ दप्पुद्धराण नराण । तम्मि अवहंतयम्मिं कीरंइ भेदो णरवरिंद ! ॥ २४ ॥ ८६४ ॥ विलीयमतमवि उवप्पयाणं पि होइ कायव्यं । तम्मि य हयम्मि सामिय ! पच्छा दंडं करिस्सामो ॥ २५ ॥ ८६५ ॥ तापेंस दूओ अकालहीणं तयंतिए देव ! । भणिऊण इमं वयणं सामगयं अइसुगंभीरं ॥ २६ ॥८६६ ॥ ओह वि तुमे अवहिया इमा देवी । वंचित्तु पुरिससीहं सिरिविजयणिवं महाबीरं ॥ २७॥ ८६७॥ तहविहु सा अप्प देवी अम्हाण सयणवित्तीए । न हु सयणस्स अणत्थो उवेक्खियब्यो तुहऽम्हेहि' ॥२८॥८६८॥ इपिम्मिणं भइ तओ अमियतेयणरणाहो । 'सोहणमेयं तुमए पयंपियं किंतु निसुणेहि ॥ २९ ॥ ८६९ ॥ अइदप्पिदुणरम्मिं तहा ये लुद्धम्मि धीर ! कीरंतो । सामो जणेइ कोवं तत्तधयं जलइ जलखेवे ||३०||८७०॥ भेओवि ण जुत्तिखमो अणुरत्तजणम्मि तम्मि कीरंतो । तेहिंतो चिय नाउं उवउत्तो होहिई अहियं ॥३१॥ ८७१॥ दुम्म उकीरंत उवप्पयाणं पि होइ नो लटुं । अहिययरं चिय बद्धइ गरलं सप्पस्स खीरेण ||३२||८७२ ॥ 1 १. त्ति होहिही त्रु० ।। २. °रउ का० ॥। ३. भेओ पा० त्रु० ।। ४. पेसिइ पा० । पेसेन्जर का० ॥ ५. 'हाधीर जे० ॥। ६. विजे० ॥ 5+5+5+5+5+5+5+15+5+505 चउत्थ-पंचमभवग्गणाई १०८
SR No.600084
Book TitleSiri Santinaha Chariyam
Original Sutra AuthorDevchandasuri
AuthorDharmadhurandharsuri
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1996
Total Pages1016
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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