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________________ कल्प. सुबो. 11४८३॥ 100000000000000000000000000000000000000000000000000010 भारदाए गुत्तेणं पंच समणसयाई वाएइ, थेरे अज्जसुहम्मे अग्गिवेसायणगुत्तेणं पंच समणसयाई वाएइ, थेरे मंडिअपुत्ते वासिद्वगुत्तेणं अदुट्ठाई समणसयाइं वाएइ, थेरे मोरिअपुत्ते कासवगुत्तेणं अद्भुट्ठाई समणसयाई वाएइ, थेरे अकंपिए गोयमे गुत्तेणं-थेरे अयलभाया हारिआयणे गुत्तेणं-ते दुन्निवि थेरा तिष्णि तिपिण समणसयाई वाएंति, आर्यव्यक्तनामा ( भारदाए गुत्तेणं ) भारद्वाजगोत्रः ( पंच समणसयाइं वाएइ ) पञ्च श्रमणशतानि वाचयति (थेरे अज्जसुहम्मे ) स्थविर आर्यसुधर्मा ( अग्गिवेसायणगुत्तेणं ) अभिवैश्यायनगोत्रः (पंच समणसयाई वाएइ ) पञ्च श्रमणशतानि वाचयति ॥ (थेरे मंडिअपुत्ते ) स्थविरः मण्डितपुत्रः ( वासिटे गुत्तेणं) वासिष्ठगोत्रः ( अडुट्टाइं समणसयाई वाएइ) सार्धानि त्रीणि श्रमणशतानि वाचयति (थेरे मोरिअपुत्ते) स्थविरः मौर्यपुत्रः ( कासवगुत्तेणं ) काश्यपगोत्रः ( अजुटाई समणसयाई वाएइ) सार्दानि त्रीणि श्रमणशतानि वाचयति ॥ (थेरे अकंपिए) स्थविरः अकम्पितः ( गोयमे गुत्तेणं) गौतमगोत्रः (थेरे अयलभाया ) स्थविर: अचलभ्राता च ( हारिआयणे गुत्तेणं ) हारितायनगोत्रः ( ते दुन्निवि थेरा तिण्णि तिण्णि 3000000000000000000000000000000000000000000000000000 ४८३॥ Jain Education For Private & Personal Use Only Tww.jainelibrary.org
SR No.600080
Book TitleKalpsutravrutti Subodhikabhidhana
Original Sutra AuthorVinayvijay
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1911
Total Pages618
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size10 MB
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