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________________ करूप० ॥४४२॥ Jain Education वर्ष साडाआठ मास, एटलां न्यून एक्सो कोड सागरोपमें श्रीवीरनिर्वाणं, तिवारपछी नक्सो एंसी वर्षे 'पुस्तकवाचनादि ॥ ७ श्रीपद्मप्रभना निर्वाणथी नव हजार कोडि सागरोपमें श्रीसुपार्श्वनिर्वाणं, तिवारपछी त्रण वर्षे साडाआठ माप्त तथा बैंतालीस हजार वर्ष ओछा एक हजार कोड सागरोपमें श्रीवीरनिर्वाणं, तेवारपछी नवसो एसी वर्षे पुस्तकवाचनादि ॥ ६ श्रीसुमतिनाथना निर्वाणथी नेत्रु हजार क्रोड सागरोपमें श्रीपद्मप्रभनिर्वाणं, तिचारपछी त्रण वर्ष साडा आठ मास तथा बेंतालीस हजार वर्ष ओछा दश हजार क्रोड सागरोपमें श्रीवीरनिर्वाणं, पछी नवसो ऐसी वर्षे पुस्तकवाचनादि || ५ श्रीअभिनंदनना निर्वाणथी नव लाख क्रोड सागरोपमें श्री सुमतिनिर्वाणं, तिवारपछी ऋण वर्ष साडा आठ मास अने बैतालीस हजार वर्ष ओछां एक लाख क्रोड सागरोपमें श्रीवीरनिर्वाणं, तिवारपछी नवसो ऐसी वर्षे पुस्तकवाचनादि ॥ ४ For Private & Personal Use Only अन्तराणि ॥ ४४२॥ 3ww.jainelibrary.org
SR No.600080
Book TitleKalpsutravrutti Subodhikabhidhana
Original Sutra AuthorVinayvijay
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1911
Total Pages618
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size10 MB
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