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________________ कल्प अन्तराणि ।४४१॥ 00000000000000000000000000000000000000000000000000 श्रीशीतलनाथना निर्वाणथी एकसो सागरोपम छासठ लाख छवीस हजार वर्ष ओछा एवा एक कोडी सागरोपमें श्रीश्रेयांसनिर्वाणं, तिवारपछी त्रण वर्ष साडा आठ मास अने बेतालीस हजार वर्ष न्यून, एवा छासठ लाख छब्बीस हजार वर्षे अधिक एकसो सागरोपमें श्रीवीरनिर्वाण, तेवारपछी नवसो एंसी वर्षे पुस्तकवाचनादि ॥ १० श्रीसविधिनाथना निर्वाणथी नव कोडी सागरोपमें श्रीशीतलनिर्वाणं, तिवारपछी बेतालीस हजार वर्ष त्रण वर्ष साडाआठ मास एटला न्यून एक कोडी सागरोपमें श्रीवीरनिर्वाणं, तिवारपछी नवसो एंसी वर्षे पुस्तकवाचनादि ॥ ९ श्री चंद्रप्रभुना निर्वाणथी नेवु कोडी सागरोपमे श्रीसुविधिनिर्वाणं, तिवारपछी बेंतालीस हजार वर्ष, त्रण वर्ष साडा आठ मास एटला न्यून दश कोडी सागरोपमें श्रीवीरनिर्वाणं, तिवारपछी नवसो एंसी वर्षे पुस्तकवाचनादि ।। ८ श्रीसुपार्श्वना निर्वाणथी नवसे कोडी सागरोपमें श्रीचंद्रप्रभनिर्वाणं, तिवारपछी बेतालीस हजार वर्ष, त्रण 300000000000000000000000000000000000000000000000000 ४४१॥ Jain Education International For Private & Personel Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600080
Book TitleKalpsutravrutti Subodhikabhidhana
Original Sutra AuthorVinayvijay
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1911
Total Pages618
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size10 MB
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