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कल्प०
॥ ४४० ॥
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पांसठलाख चोरासीहजार नवसो एंसी वर्षे पुस्तकवाचनादि || १६
श्रीधर्मनाथना निर्वाणथी पोणा पल्योपमे न्यून त्रण सागरोपमें श्री शांतिनाथनिर्वाणं, तिवारपछी पो पल्योपम पांसठ लाख चोरासी हजार नवसो एंसी वर्षे पुस्तकवाचनादि ॥ १५
श्री अनंतनाथना निर्वाणी चार सागरोपमें श्रीधर्मनाथनिर्वाणं, तिवारपछी ऋण सागरोपम पांसठ लाख चोर्यासी हजार नवसो एंसी वर्षे पुस्तकवाचनादि ॥ १४
श्रीविमलनाथना निर्वाणथी नव सागरोपमें श्रीअनंतनाथनिर्वाणं, तिवारपछी सात सागरोपम उपर पांसठ लाख चोरासी हजार नवसो एंशी वर्षे पुस्तकवाचनादि ॥ १३
श्री वासुपूज्यना निर्वाणथी त्रीस सागरोपमें श्रीविमलनाथनिर्वाणं, तिवारपछी सोल सागरोपम पांसठ लाख चोर्यासी हजार नवसो एंशी वर्षे पुस्तकवाचनादि ॥ १२
श्रीश्रेयांसना निर्वाणथी चोपन सागरोपमें श्रीवासुपूज्यनिर्वाणं, तिचारपछी बेंतालीस सागरोपम पांसठ लाख चोर्यासी हजार नवसो एंसी वर्षे पस्तकवाचनादि ॥ ११
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अन्तराणि
॥४४०॥
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